अर्थ क्या है राम राज्य का


राम राज्य का अर्थ है। आत्मविश्वास हमारे जीवन को महकाता है हमारे मन में पवित्रता हो हमरे तन मन धन परमात्मा के चरणों में समर्पित हो लोभ और मोह से हम ऊपर उठेंगे तभी जन जन का कल्याण सम्भव है। हमारे भीतर सत्यता और त्याग की भावना हो। हम सबको समान दृष्टि से देखें हमारे अन्दर राष्ट्र प्रेम की भावना कुट कुट कर भरी हो। हम कर्तव्य को हमारा धर्म माने। हम जीवन में बैठे नहीं कठोर परिश्रम करते हुए  जीवन यापन करे।राम मे जीवन का दर्शन है।कभी हम यह नहीं सोचते हैं  राज महल से जाने पर भगवान राम ने जीवन में कितना कठोर परिश्रम किया होगा।   भगवान राम हमें हर परिस्थिति में दृढ़ निश्चय  सत्यता, मर्यादित जीवन की प्ररेणा देते है।हम भगवान राम और कृष्ण के जीवन को देखते हैं तब कभी यह नहीं कह सकते हैं। भगवान राम भगवान कृष्ण के जीवन कठीनायों से भरे हुए नहीं थे। भगवान कृष्ण को मारने के अनेक प्रयत्न किए गये भगवान के जीवन को पढकर समझकर कोई व्यक्ति यह नही कह सकता है मै बहुत कठिनाइयों में हूँ हमें कठीनाई भरे जीवन में ढलना होता है सहनशील बनना है

हमारा जीवन मै और मेरापन पर आधारित न हो। सर्व कल्याण की भावना हम में हो
।हम मे भेद भाव न रहे हमारे भाव और भावना में पवित्रता हो।   जीवन लक्ष्य पर आधारित होगा । तभी जीवन की सार्थकता है ।  कर्तव्य और कर्म को शुद्धता के साथ करे। यह मनुष्य जीवन एक अमुल्य धरोहर है इस जीवन में हम लोभ मोह से किनारा कर के चले राम राज्य तभी सम्भव है।  राम हमारे चिन्तन मनन मे हो राम भाव  भीतर समा जाते हैं। तभी सदाचारी बनेंगे  राम मन में हो, राम हदय में हो राम राम जप करते हुए हमारे जीवन में उच्च विचार धारा हो। हमारे अन्तर्मन का आत्मविश्वास हमारे मस्तक पर झलकता हो।  आत्मविश्वास से भरा हुआ व्यक्ति हर परिस्थिति को सुलझा सकता है। चुनोति को स्वीकार करना  उसके जीवन का  लक्ष्य होता है
हम मे अपने हित के साथ अन्य के हित की भावना हो । तभी  हम सत्य के पथ पर चल सकते हैं। भारतीय संस्कृति में मै और मेरापन का कोई स्थान नहीं है। भारत की भूमि सन्तों की भूमि है।हम परमात्मा राम कृष्ण का चिन्तन मनन नाम जप करते रहे। राम राज्य का अर्थ है। हमारा जीवन सुख पर आधारित न हो। सुख की कोई परिभाषा नहीं एक व्यक्ति का मन शान्त है वह हर परिस्थिति में शान्त भाव में रहता है भगवान राम को वनवास मिलने पर भी शान्त है मौन माता पिता की आज्ञा को सिरोधारय कर बलकल वस्त्र धारण कर वन को चले जाते हैं वह राज्य को तिनके की भांति त्याग देते हैं। हम शान्त चित और सन्तोषी बने हमारे अन्दर प्रेम हो हम राजनीति न करे हमारे घर  शांति के भूषण से सजे हुए हो तभी राम राज्य स्थापित होगा। जय श्री राम अनीता गर्ग

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