अयोध्या धाम सजा है मेरे दिल में प्रशन उठता है अयोध्या धाम क्या मंदिर सजा है अयोध्या धाम में प्राण प्रतिष्ठा होगी प्राण प्रतिष्ठा अयोध्या धाम के साथ साथ हर भक्त के हदय में जोत जगेगी कितने ही भक्त साधु सन्त दर्शन के लिए साक्षात्कार के लिए प्रार्थना कर रहे हैं भगवान कहते हैं मै भक्तो की भक्ति को सार्थक करने के लिए आ रहा हूं। भक्तो के हृदय की ज्योत से मै जाग्रत रूप में आया हूं। कुछ भक्त मेरे राम नाम से तैर जाते हैं कुछ भक्तो के हृदय में साक्षात्कार की ज्वाला धधक रही होती है उस तेज को कोई पी नहीं सकता है उस तेज से मै जाग्रत होता हूं भक्त के हदय में प्रेम रूप में मै ही विराजमान होता हूं। लाखो करोड़ों भक्तो के हृदय में मुझे प्रकट करने की, मेरे दर्शन करने की साधना होती है तभी मै साकार रूप धारण करता हूं। मेरे तेज को कोई और सहन नहीं कर सकता है इस लिए मै मुर्ति में समा जाता हूं। मुर्ति में प्राण आ जाते हैं। भारत भुमि मेरा प्रिय स्थल है यह सन्त महात्मा और ऋषि मुनियों की भुमि है मेरे रूप के दर्शन कर भक्त आनंदित होता है मुझे भोग से नहीं भाव से रिझाया जा सकता है। भक्तो के हृदय में मेरा निवास है। भक्त का शुद्धतम भाव मुझे प्रिय है भक्तो ने मुझे सजाया है मै भक्तो के दिल को सजाकर रखुगा
दीप राम नाम का मै जलाऊंगा राम नाम दीपक है राम नाम बाती है राम दीपक मे डलने वाला तेल भी राम नाम का है राम नाम बाती है राम नाम का दीपक है राम नाम की लौ जल रही है। राम नाम के दिपक से भारत जगमगा रहा है। राम नाम का दीपक ह्दय में जलता है तभी दिपावली है। ह्दय का दिपक प्रज्वलित होता है तभी दिपावली है। दीपक सत्य का जला लेना
लौ भगवान राम की लगा लेना
होठो पर राम नाम रहे
ह्दय में भगवान विराजे है ।
दिपक प्रेम का जलता है तब धरती पर आन्नद छाता है।।
विस्वास के दीपक की रक्षा छाया जैसे करना।
प्रज्वलित रहे विस्वास का दिपक आत्म विश्वास से पुरण पाओगे
जय श्री राम अनीता
जाएगा तब धर
Ayodhya Dham is decorated. A question arises in my heart, is Ayodhya Dham a temple? There will be life consecration in Ayodhya Dham. Along with Ayodhya Dham, life will be consecrated in the heart of every devotee. How many devotees are praying for an interview for the darshan of saints and saints. God says, I am coming to make the devotion of the devotees meaningful. I have come in the awakened form through the light of the hearts of the devotees. Some devotees swim in the name of my Ram, the flame of realization is blazing in the heart of some devotees, no one can drink that brightness, I am awakened by that brightness, I am present in the form of love in the heart of the devotee. In the hearts of lakhs and crores of devotees, there is a sadhana to reveal me and to have my darshan, only then I take the physical form. No one else can bear my glory, so I merge into an idol. The statue comes to life. The land of India is my favorite place, it is the land of saints, mahatmas and sages. The devotee becomes happy after seeing my form. I cannot be wooed by pleasures but by emotions. I reside in the hearts of the devotees. I love the purest feelings of the devotees. Devotees have decorated me. I will keep decorating the hearts of the devotees. I will light a lamp in the name of Ram. The name of Ram is the lamp. The name of Ram is the wick. The oil put in the lamp is also in the name of Ram. The wick is in the name of Ram. The lamp is in the name of Ram. The flame is burning in the name of Ram. India is shining with the lamp of Ram’s name. It is Diwali only when the lamp named Ram burns in the heart. It is Diwali only when the lamp of the heart is lit. lighting the lamp of truth light the flame of Lord Ram May the name of Ram remain on the lips God resides in the heart. When the lamp of love burns, there is joy on earth. Protect the lamp of faith like a shadow. Keep the lamp of faith burning and you will be fulfilled with self-confidence. Jai Shri Ram Anita
will go then hold