राम राज्य कहीं बाहर नहीं है राम राज्य में आप अपने दिल के नजदीक हो राम राम का सिमरण हमारे ह्दय मे आनंद रस बनाता है राम राम का अर्थ है आप का सम्बन्ध आत्माराम से बना हुआ है।
हमारा सम्बन्ध मन से होता है तब हम बहुत सा सुख चाहते हैं फिर भी शान्त नहीं होते है जब हम भगवान राम का सिमरण करते हैं प्रार्थना करते हैं तब हमारे अन्दर से प्राप्त करने की इच्छा में सम भाव आता है भगवान राम कुछ भी प्राप्त करना नहीं चाहते हैं जो भी प्राप्त होता है लंका विजय कर के भगवान राम लंका का राज्य विभीषण को दे देते हैं
भगवान राम के यह भाव भगवान के चिन्तन करते हुए भक्त के दिल में समा जाते हैं त्याग मार्ग को भक्त अपनाता है हमारी हिन्दू संस्कृति सत्य स्वरूप में यही है हिन्दू के दिल में त्याग और समता का भाव है। हमे हिन्दू बनने के लिए भगवान का सिमरण करना होगा हृदय में भगवान बैठे होगे तभी हम हिन्दू बन सकते हैं।।
हिन्दू संस्कृति में भेद नहीं है जात पात की लकीरों से ऊपर उठना ही संस्कृति है हर वह व्यक्ति जो अपने दिल के नजदीक है उसमें संस्कृति का जन्म हुआ है वह सनातन सस्कृति में स्थित है। मै तू की दिवारों को तोड़ना सनातन सस्कृति हैं।
आओ हम सब मिलकर राम राज्य की स्थापना करे। हमे दिल में राम को बिठाना है दिल में राम बैठे हुए के ही मन मन्दिर बनते हैं।
मन मन्दिर तभी सजते है जब हमारी सांस ऊपर की ओर उठती है। हमारे विचार की पवित्रता हमारे सांस पर टिकी हुई है हमारा सांस स्व पर स्थित होता तभी हमारे अन्तर्मन मे भक्ति की लहर होती है। आओ हम सब अपनी संस्कृति और राष्ट्र के लिए सत्य और कर्तव्य के पथ पर चले। सत्य और कर्त्तव्य हमारे अन्दर स्थित होगा तभी राम दीपक प्रज्वलित होगा।हमें दीपक भीतर जलाने है भक्ती का दीपक प्रज्वलित होगा तब राम राज्य स्थापित होगा। जय श्री राम अनीता गर्ग