अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित होने वाली भगवान राम और माता सीता की मूर्ति इन्ही दोनों शिलाओं पर उकेरी जाएंगी, जो नेपाल की काली गंडकी नदी से मिली है. ऐसे में शालिग्राम शिला का धार्मिक महत्व की समझ नही रखने वाले लोगों के मन मे पिछले एक हफ्ते से एक ही सवाल है की इसी ही शिला से ही रामलला की मूर्ति क्यों बनेगी ? जिसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि शालिग्राम शिला को भगवान विष्णु के प्रतीक माने जाते है.
शालिग्राम की गिनती भगवान विष्णु के 10 अवतारों के रूप में होती है. इसी वजह से सनातन धर्म मे इस पत्थर की पूजा भगवान विष्णु के स्वरूप के तौर पर होती है.पुराणों के अनुसार शालिग्राम को भगवान विष्णु के विग्रह रूप के रूप में पूजा जाता है. ऐसी मान्यता है कि शालिग्राम पत्थर अगर गोल है तो वह नारायण का बाल स्वरूप है. अगर वही शिला मछली के आकार की दिख रही है तो वह भगवान विष्णु का मत्स्य अवतार है.
वही अगर कछुए के आकार में शालिग्राम है, तो उसे कूर्म या कच्छप अवतार का प्रतीक माना जाता है. शालिग्राम पत्थर पर दिखने वाले चक्र और रेखाएं…भगवान विष्णु के दूसरे अवतारों का प्रतीक मानी जाती है. यही वजह है पूजा के लिए इन शिलाओं के प्राण-प्रतिष्ठा की जरूरत नही पड़ती है. किसी भी मंदिर कर गर्भगृह में सीधे रखकर इस शिला की पूजा की जा सकती है. यही वजह है सनातन धर्म मे शालिग्राम पत्थर की विशेष अहमियत है.
शिवलिंग की तरह शालिग्राम पत्थर का मिलना भी बेहद मुश्किल होता है. ये पत्थर हर जगह आसानी से नही मिलते है. ज्यादातर शालिग्राम पत्थर नेपाल के मुक्तिनाथ क्षेत्र में काली गंडकी नदी के तट पर ही पाए जाते है. ऐसे कई रंगों में पाए जाने वाले शालिग्राम का सुनहरा स्वरूप सबसे दुर्लभ माना जाता है.
🚩 जय सियाराम🚩🙏🙏