नंदी महाराज का तप

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नंदी महाराज की गवाही मैं शिलादिपुत्र नंदी हूँ,  सैकड़ों वर्ष से शीत, आतप, बरखा सहने के बाद एक बार मैंने महादेव से पूछा कि आप अपना त्रिशूल क्यों नही चलाते, उन्होंने मुझे श्री राम कथा सुनाई और कहा, ‘यदि प्रभु राम चाहते तो बिना फण के एक बाण से दशानन के दसों शीश समेत सम्पूर्ण #लंका का विनाश कर देते पर इससे सामान्य जन पर कोई प्रभाव नही पड़ता। राम और रावण की लड़ाई मात्र दो लोगों की लड़ाई नही थी बल्कि सामान्य जन मे मर्यादा की पुन:स्थापना और अन्याय के विरुद्ध उन्हें उठ खड़े होने का साहस देने को थी।’  राम कथा प्रत्येक संदेह को दूर कर देती है, मैं जान गया कि मेरे यहाँ होने का उद्देश्य क्या है। मैं  यहाँ पर हुए अत्याचार की गवाही देने के लिए हूँ। भारत भूमि मे निवास करने वाले लोगों में धर्म और सामर्थ्य के जागरण के लिए तप कर रहा हूँ।मैं यहाँ सदियों से पड़ा हूँ, काशी धाम आने वाले सभी जन मुझे देखते हैं, मैं गवाह हूँ कि मेरे भोलेनाथ ज्ञानव्यापी तीर्थ के अधिष्ठाता हैं। मैं हर घड़ी, हर पल महादेव की ओर मुँह करके बता रहा हूँ कि मेरे भोलेबाबा यहीं हैं यहीं हैं। जम्बू_द्वीप के प्रत्येक कोने से आने वाले सभी सनातनियों को बता रहा हूँ कि विश्वेश्वर यहीं हैं। सम्पूर्ण भरतखंड के एक एक व्यक्ति को मैं सदियों से इसी बात की गवाही दे रहा हूँ।मैंने सुना है कि नए भारत के राजा ने यह पता लगाने का आदेश दिया है कि ज्ञानव्यापी तीर्थ का अध्यक्ष कौन है। धरती के विधि विशेषज्ञ विधाता का पता लगाने निकले हैं, यह सोच कर मैं मन ही मन महादेव की माया पर मुस्कुराता हूँ। भोलेनाथ जानते थे कि मेरी गवाही ही विधि व्यवस्था की आखिरी बात होगी, इसलिए मैं सैकड़ों साल से यहीं हूँ। जिस दिन मेरी प्रतीक्षा और मेरी गवाही प्रत्येक #सनातनी की प्रतीक्षा और गवाही हो जायेगी उस दिन हर_की_ज्ञानव्यापी को उसका देव मिल जाएगा।मेरी तरफ देखो, मैं साक्ष्य हूँ, प्रमाण हूँ, साक्षी हूँ कि ज्ञानव्यापी तीर्थ समेत समस्त लोक के एकमेव स्वामी महादेव हैं। हर हर महादेव



Nandi Maharaj’s testimony I am Shiladiputra Nandi, after suffering cold, heat, rain for hundreds of years, once I asked Mahadev why don’t you use your trident, he told me the story of Shri Ram and said, ‘If Lord Ram wanted, without With one arrow of the hood, he would have destroyed the whole of Lanka including the ten heads of Dashanan, but it has no effect on the common man. The fight of Ram and Ravana was not just a fight of two people but to restore dignity among common people and give them courage to stand up against injustice. Ram Katha clears every doubt, I know what is the purpose of my being here. I am here to bear witness to the atrocities that took place. I am doing penance for the awakening of religion and power among the people residing in the land of Bharat. I have been here for centuries, all the people who come to Kashi Dham see me, I am a witness that my Bholenath is the founder of the knowledge-wide pilgrimage. Every moment, every moment I am facing towards Mahadev and I am telling that my Bhole Baba is here, he is here. I am telling all the Sanatanis coming from every corner of Jambu_dweep that Vishweshwar is here. I have been witnessing the same thing for centuries to every person in the whole of Bharatkhand. I have heard that the king of New India has ordered to find out who is the head of the knowledge-wide pilgrimage. Thinking that the legal experts of the earth have come out to find out the creator, I smile in my mind at the illusion of Mahadev. Bholenath knew that my testimony would be the last word of law and order, so I am here for hundreds of years. The day when my waiting and my testimony becomes the waiting and testimony of every Sanatani, on that day everyone will get his God. Look at me, I am the evidence, the proof, the witness that the only lord of all the worlds including the pilgrimage of knowledge is Mahadev. Everywhere Shiva

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