बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सब दुख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया ।
मीरा पुकारी रे गिरिधर गोपाला,
ढल गया अमृत में विष का भरा प्याला ।
कौन मिटाए उसे, जिसे तू राखे पिया,
सब दुख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया ॥
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया॥
जब तेरी गोकुल पे आया दुख भारी,
एक इशारे से सब विपदा टारी ।
मुड़ गया गोवर्धन तुने जहाँ मोड़ दिया,
सब दुख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया ॥
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया
नैनो में श्याम बसे, मन में बनवारी,
सुध बिसराएगी मुरली की धुन प्यारी ।
मन के मधुबन में रास रचाए रसिया,
सब दुख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया ॥
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया..॥
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सब दुख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया