बन के इंसान इक फरिश्ता लुटाने रेहमत शिरडी में आया,
शिरडी में आया शिरडी में आया,
सेवा में दीं दुखी की साई ने अपना जीवन बिताया ,
सतगुरु साई निर्गुण रूपा दिव्ये आत्मा दिव्ये सवरूपा,
पुण्य की बारिश करके शिरडी को बाबा तीर्थ बनाया,
बन के इंसान इक फरिश्ता लुटाने रेहमत शिरडी में आया,
होने लगे है शिरडी में जलसे,
दीपक जलाये जो तुमने जल से,
श्रद्धा सबुरी का सूरज संदेसा सत्ये का लेके है आया,
बन के इंसान इक फरिश्ता लुटाने रेहमत शिरडी में आया,
गुलशन बन जाए दिल और दीवाना साई जो बन जाए तेरा दीवाना,
सब का मालिक इक है लखा को तूने यही समजाया,
बन के इंसान इक फरिश्ता लुटाने रेहमत शिरडी में आया,
As a human being, Rehmat came to Shirdi to plunder an angel.
Came to Shirdi Came to Shirdi
Sad that Sai spent his life in service,
Satguru Sai Nirgun Roopa Divye Atma Divye Savarupa,
By raining virtue, Shirdi was made Baba Tirth.
As a human being, Rehmat came to Shirdi to plunder an angel.
The procession has started in Shirdi.
Light the lamp which you have with water,
Shraddha Saburi’s sun has come with Sandesa Satya,
As a human being, Rehmat came to Shirdi to plunder an angel.
Gulshan ban jaye dil aur deewana sai jo ban jaye tera deewana,
Ik is the master of all, this is what you understood to Lakha,
As a human being, Rehmat came to Shirdi to plunder an angel.