मेरे बांके बिहारी ने भुलाया ब्रिज राज का संदेसा आया,
चली में वृंदावन को चली चली में वृंदावन को चली,
मोर मुकट पीताम्बर धारी मुरली धर मेरो बांके बिहारी,
बार बार मेरे सपनो में आया,ब्रिज राज का संदेसा आया,
चली में वृंदावन को चली चली में वृंदावन को चली,
मुँह मेरे की बात न तोको जग वालो मेरा राह ना रोको,
श्याम संवारा मेरे मन भाया ब्रिज राज का संदेसा आया,
चली में वृंदावन को चली चली में वृंदावन को चली,
वनवारी होइ कमली होइ प्रेम दीवानी पगली होइ,
श्याम विरहा बड़ा ही सताया, ब्रिज राज का संदेसा आया,
चली में वृंदावन को चली चली में वृंदावन को चली,
मधुप यही मन की अभिलाषा केवल हरी दर्शन की आशा,
मेरा जग से जी भर आया ब्रिज राज का संदेसा आया,
चली में वृंदावन को चली चली में वृंदावन को चली,
My Banke Bihari forgot the message of Bridge Raj,
I walked to Vrindavan, walked to Vrindavan,
Peacock Mukat Pitambar Dhari Murli Dhar Mero Banke Bihari,
Repeatedly came in my dreams, the message of Bridge Raj came,
I walked to Vrindavan, walked to Vrindavan,
Don’t talk about my mouth, don’t stop my way,
Shyam Sanwara I liked the message of Bridge Raj,
I walked to Vrindavan, walked to Vrindavan,
Vanwari hoi kamli hoi love deewani pagli hoi,
Shyam Viraha was very tormented, the message of Bridge Raj came,
I walked to Vrindavan, walked to Vrindavan,
Honey, this is the desire of the mind, only the hope of seeing green,
My world was filled with the message of Bridge Raj,
I walked to Vrindavan, walked to Vrindavan,