सर्ब सुहागन मिल मंदिर में आई,
दादी जी के हाथ रचाई जी या मेहँदी ,
सोने की झारी में गंगा जल लाइ,
कंचन थाल घुलाई जी या मेहँदी ,
कोई सुवरण थाल घुलाई जी या मेहँदी,
चाँदी की चौंकी पे चौक पुरायो दादी जी बैठ मनाई जी या मेहँदी,
भाव भरी मैंने हाथ रांची दादी जी ने बहुत ही प्यारी जी या मेहँदी,
चरण धोये चरना में लागि आशीष लेकर घर आई जी या मेहँदी,
आन धन लक्ष्मी बहुत घना दे टाबरिया रे प्रेम बड़ाई जी या मेहँदी,
दया दृष्टि कर दो दादी जी टाबरियां मिल कर गाई जी या मेहँदी
Serb came to Suhagan Mill Temple,
Grandmother’s hand made ji or mehandi,
The Ganges brought water in a gold jar,
Kanchan Thal Ghulai ji or Mehandi,
Any gold plate ghulai ji or mehndi,
Grandmother ji sat on a silver pedestal and celebrated it with mehndi,
I filled my hands Ranchi Dadi ji very sweet ji or Mehndi,
Washing the feet, I came home with the blessings applied in the grazing or mehndi,
On dhan lakshmi very dense de tabriya re love badai ji or mehndi,
Have a pity look at Dadi ji’s tabaris and gai ji or mehndi