तुम कहाँ छुपे भगवान करो मत देरी,
दुःख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी ,
दुख हरो द्वारिकानाथ शरण मैं तेरी ,
यही सुना है दीनबन्धु तुम सबका दुख हर लेते,
जो निराश हैं उनकी झोली आशा से भर देते ,
अगर सुदामा होता मैं तो दौड़ द्वारका आता ,
पाँव आँसुओं से धो कर मैं मन की आग बुझाता,
तुम बनो नहीं अनजान, सुनो भगवान, करो मत देरी,
दुख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी ,
जो भी शरण तुम्हारी आता, उसको धीर बंधाते,
नहीं डूबने देते दाता, नैया पार लगाते ,
तुम न सुनोगे तो किसको मैं अपनी व्यथा सुनाऊँ,
द्वार तुम्हारा छोड़ के भगवन और कहाँ मैं जाऊँ,
प्रभु कब से रहा पुकार, मैं तेरे द्वार, करो मत देरी,
दुख हरो द्वारकानाथ शरण मैं तेरी ,
Where are you hiding God, don’t delay,
Grief Haro Dwarkanath refuge I am yours,
Grief Haro Dwarkanath Sharan I am yours,
I have heard that Deenbandhu would take away all of you sorrows.
Those who are disappointed would fill their bags with hope,
Had I been Sudama, I would have come to Dwarka.
Washing my feet with tears, I would extinguish the fire of my mind,
You don’t be ignorant, listen God, don’t delay,
Grief Haro Dwarkanath Sharan I am yours,
Whatever refuge comes to you, he would be patient,
The donors do not let them drown, they cross the boat,
If you don’t listen, to whom should I tell my woes,
God leaving your door and where should I go,
Since when has the Lord been calling, I am at your door, do not delay,
Grief Haro Dwarkanath Sharan I am yours,