एक दिन सीता माता ने ,घर छपन भोग बनाया
खाने के लिए महल में ,बजरंग बाली को बुलाया
राम सिया राम सिया राम सिया राम , राम जय जय राम जय जय राम जय जय राम
माँ कहने लगी हनुमत से , तुम तनक नही सरमाओ
भंडार भरा है पूरा , मन भरे ना तब तक खाओ
आसन पे बैठ के हनुमत , श्री राम का ध्यान लगाए
खाने के लिए महल में , बजरंग बाली को बुलाया
एक बार में चट कर डाले , जब बजरंग एक एक थाली
ना पेट भरा हनुमत भंडार , हो गया खाली
खाता देखा हनुमत को , सीता का मन घबराया
खाने के लिए महल में , बजरंग बाली को बुलाया
सकुचाई कुछ घबराई , श्री राम के पास माँ आई
बोली सेबक को तेरे , भोजन मे करा न पाई
न पैट भरा अब तक भी , भंडार है पूरा खाया
खाने के लिए महल में , बजरंग बाली को बुलाया
सुनकर सीता की बाते , प्रभु मंद मंद मुस्काये
एक तुलसी दल देकर के , श्री राम का नाम लिखवाये
तुलसी दल माँ ने परोसा , हनुमान नमन कर खाया
खाने के लिए महल में , बजरंग बाली को बुलाया
उठकर आसन से हनुमत , बोले माँ आंनद है आया
हुई भूख शांत अब मेरी , आशीर्वाद भी पाया
तुमने भूखे सेबक को , भोजन भरपेट कराया
खाने के लिए महल में , बजरंग बाली को बुलाया
One day Sita Mata made home Chhapan Bhog
In the palace for dinner, Bajrang Bali was called
Ram Siya Ram Siya Ram Siya Ram Ram Jai Jai Ram Jai Jai Ram Jai Jai Ram
Mother started saying to Hanumant, you don’t hesitate
The stock is full, don’t eat till your mind is full
Hanumant sitting on the seat, meditate on Shri Ram
In the palace for dinner, Bajrang Bali was called
When Bajrang is eaten in a single plate
Hanumat Bhandar is not full of stomach, it has become empty
Saw Hanumat eating, Sita’s mind panicked
In the palace for dinner, Bajrang Bali was called
Sakuchai got a little nervous, mother came to Shri Ram
Bid Sebak could not be done in your food
Not yet full of pats, the stock is completely eaten
In the palace for dinner, Bajrang Bali was called
Listening to Sita’s words, Lord smiled softly
By giving a Tulsi Dal, get the name of Shri Ram written.
Mother served Tulsi Dal, ate it after bowing to Hanuman
In the palace for dinner, Bajrang Bali was called
Hanumat got up from the seat, said mother Anand has come
My hunger is now pacified, I also got blessings
You fed a hungry apple
In the palace for dinner, Bajrang Bali was called