राम राम जी
जय जय राम
ब्रह्म मुहूर्त अमृत वेला
राम नाम सिमरो अलबेला।
जन को कर दे पूर्णकाम
सिमरो निश दिन आठों याम।।
भोर होत नित ऋतु सुहानी
जप लो गा लो अमृतवाणी।
राम राम राम राम राम राम राम
ध्यान धरो गुरु आज्ञा मानो
त्रिकाल संध्या करना ठानो ।
अमृत रस बरसे अविराम
जब घट राजे राम का नाम।।
अपना काम यही है प्यारे
राम नाम मन बीच बसा ले।
मनुआ नाचे राम के धाम
रोम रोम पुलकित अभिराम।।
जय राम जय राम जय जय राम राम
राम राम राम राम जय जय राम