प्रिय सुखद संसार हो तुम
प्रियतम पहला प्यार हो तुम।
गीत में जो बह रहे हो भावना की धार हो तुम।।
जब पुकारू मैं तुम्हें तो तुम हृदय के पास आना।
मौन को जो सुन सके प्रिय वो मधुर एहसास लाना।।
हो अलौकिक नेह की निधि
जिन्दगी का सार हो तुम।
गीत में जो बह रहे हो भावना की धार हो तुम।।
जब कदम मैंने बढाये दे दिया तुमने सहारा।
सांस को लय मिल रही है प्रेम है पावन तुम्हारा।।
ईश्वर का वरदान जैसे प्रेम प्रिय साकार हो तुम।
गीत में जो बह रहे हो भावना की धार हो तुम।।
साथ थी पावन ऋचायें जब किया तन मन समर्पित।
चेतना में नव सुरों को कर रहा हूं आज अर्पित।।
अति गहन अनुराग तुमसे कंठ की झंनकार हो तुम।
गीत में जो बह रहे हो भावना की धार हो तुम।।
भगवान श्री राम ।।