मामवलोकय पंकज लोचन।
कृपा बलिोकनि सोच बिमोचन॥
नील तामरस स्याम काम अरि।
हृदय कंज मकरंद मधुप हरि॥
कृपापूर्वक देख लेने मात्र से शोक के छुड़ाने वाले हे कमल नयन! मेरी ओर देखिए (मुझ पर भी कृपादृष्टि कीजिए) हे हरि! आप नीलकमल के समान श्यामवर्ण और कामदेव के शत्रु महादेवजी के हृदय कमल के मकरन्द (प्रेम रस) के पान करने वाले भ्रमर हैं।
हे राम मैं तो मिट्टी से बना हूँ और एकदिन मिट्टी में ही मिल जाऊँगा फिर पता नहीं किधर जाऊँगा ? केवल यही कामना है कि अन्तिम समय तक आपके राम नाम का जाप करता रहूँ। और हे जगत के पिता ! हम आपसे क्या माँगें क्योंकि संसार में कुछ भी स्थाई नहीं होता है | अपनों को पराया होता हुआ देखा है , प्रेम को घृणा में बदलते हुए देखा है , जितना सुख चाहो बदले में उतना ही दु:ख मिलता चला जाता है |
हे सीता राम जी! सबने मुझे एक -एक करके छोड़ दिया है और हम बिल्कुल ही अकेले रह गये हैं | जिसे भी अपना बनाने का प्रयास किया,पता नहीं वो एक दिन स्वतः ही दुश्मन बना जाता है और जीवन में दु:ख दर्दों का मेला लगाकर के ,बहुत ही दूर चला जाता है | चलो अच्छा ही हुआ जो कभी सीने में बसते थे ,उन्होंने ही सीने को मरघट सा बनाकर के रख दिया है | हर अभाव में, आपका नाम लेते हुए, मैं ये जीवन जीता चला गया और सब कुछ आपने ही हल किया | हे सीता राम जी ! सच में आपके नाम में बहुत ही शक्ति है जिसका वर्णन कर पाना बहुत ही जटिल है सच्चिदानंद घन श्री राम जी ||
Mamvalokay Pankaj Lochan. Grace Baliokani Soch Remochana॥
Neel tamaras syam kaam ari. Hridaya Kanj Makarand Madhup Hari.
O lotus eyes, one can relieve sorrow just by looking at them with kindness! Look at me (look kindly on me too) O Hari! You are as dark as a blue lotus and are the illusionist who drinks the nectar (love juice) of the lotus heart of Kamadeva’s enemy Mahadevji.
Hey Ram, I am made of dust and one day I will return to dust and then I don’t know where I will go? My only wish is to keep chanting your name Ram till the last moment. And oh father of the world! What should we ask from you because nothing is permanent in this world. I have seen my loved ones becoming strangers, I have seen love turning into hatred, no matter how much happiness you want, you get so much sorrow in return.
Hey Sita Ram ji! Everyone has left me one by one and we are left completely alone. Whoever you try to make your own, you never know, one day he automatically becomes your enemy and after creating a fair of sorrows and pains in his life, he goes far away. Well, it is good that those who once used to live in the chest, have turned the chest into a marsh. Taking your name in every privation, I continued to live this life and everything was solved by you. Hey Sita Ram ji! Truly there is a lot of power in your name which is very complex to describe. Sachchidanand Ghan Shri Ram Ji ||