हे कान्हा मोहे, बहुत सतावत तोरी अंखिया,

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हे कान्हा  मोहे, बहुत  सतावत   तोरी अंखिया,
चहुँ दिस में कहूँ ठौर नाही मोहे , मोरे पीछे पीछे आवत तोरी अंखिया,
हे कान्हा  मोहे, बहुत  सतावत   तोरी अंखिया I

मेरो मन मंदिर में ऐसो बसो है  , मोहे हर पल लुभावत तोरी अंखिया,
हे कान्हा  मोहे, बहुत  सतावत   तोरी अंखिया I

त्रिभुवन में कोई ऐसो नाही है ,जैसो तीर चलावत तोरी अंखिया,
हे कान्हा  मोहे, बहुत  सतावत   तोरी अंखिया I

भवसागर में भटक रहा मैं, काहे नाही पार लगावत तोरी अंखिया,
हे कान्हा  मोहे, बहुत  सतावत   तोरी अंखियाI

He Kanha Mohe, Bahut Satawat Tori Ankhiya,
Chahun dis me kahun thoor nahi mohe , more peeche peeche awat tori ankhiya,
O Kanha Mohe, your eyes are very tormenting I
Mero Man Mandir Mein Aiso Baso Hai , Mohe Har Pal Lubhavat Tori Ankhiya,
O Kanha Mohe, your eyes are very tormenting I
Tribhuvan me koi aiso nahi hai, jaiso teer chalawat tori ankhiya,
O Kanha Mohe, your eyes are very tormenting I
Bhavasagar me bhatak raha main, kahe nahi par lagawat tori ankhiya,
O Kanha Mohe, your eyes are very tormentingI

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