हम थारे चरना की धुल गुरु जी
चरणो से करिये न दूर गुरु जी
जब भी म्हारे सतगुरु भागा में आये
भागा के खिल गए फूल गुरु जी
हम थारे चरना की धुल गुरु जी
जब सतगुरु भंडारे में आये
अमृत बन गई खीर गुरु जी हो
हम थारे चरना की धुल गुरु जी
जब भी म्हारे सत गुरु सत्संग में आये संगत का चढ़ गया नूर गुरु जी हो
हम थारे चरना की धुल गुरु जी
Hum Thare Charna Ki Dhul Guruji
Don’t move away from your feet, Guruji
Whenever my Satguru came in Bhaga
Bhaga’s blossomed flowers Guru ji
Hum Thare Charna Ki Dhul Guruji
When Satguru came to the bhandara
Kheer has become nectar, Guruji
Hum Thare Charna Ki Dhul Guruji
Whenever my Sat Guru came to the satsang, the noor of the sangat became guru ji.
Hum Thare Charna Ki Dhul Guruji