जले है दिप चारों ओर मेरे भगवान आये हैं


मेरा घर आज महका है
मेरे घर श्री राम आयें है

जले है दिप चारों ओर मेरे भगवान आये हैं

सुमिर कर नाम प्रभु का, वो
जो हर पल राम जपते है

वहीं भवसागर तैरते है,
लगन उनसे लगा बैठे हमारे राम आये हैं

जले है दिप चारों ओर मेरे भगवान आये हैं


कि जिसका नाम पत्थर पर,

लिखे तो तैर जाते हैं

वहीं अयोध्या जाते हैं जिन्हें भगवन बुलाते हैं


लगालो प्रित उनसे तुम, वहीं श्री राम आयें है

जले है दिप चारों ओर मेरे भगवान आये हैं


धनुष भी पास रखते हैं मेरे भगवान आये हैं

नज़र तिरछी अगर करदे,

तो समुद्र टूट जाते हैं
श्री राम आयें है, जले है दिप चारों ओर,

मेरे भगवान आये हैं
बेर शबरी के जुठे थे,

मगर मेरे भगवन ने खाए थे
अहल्या ने मुक्ती पाई थी,
दरश केवट ने पाये थे,
कृपा सिंधु भगवन हमारे राम आये हैं 

जले है दिप चारों ओर मेरे भगवान आये हैं।


पिता की लाज रखते हैं, वचन अपना निभाते हैं

रावण का अभिमान तोड़ने, समुद्र पार जाते हैं।


हमारे प्राण जिनमें है, वहीं हमारे राम आये हैं जले है दिप चारों ओर मेरे भगवान आये हैं

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