कैसी यह देर लगाई दुर्गे,
हे मात मेरी हे मात मेरी।
भव सागर में घिरा पड़ा हूँ,
काम आदि गृह में घिरा पड़ा हूँ।
मोह आदि जाल में जकड़ा पड़ा हूँ।
हे मात मेरी हे मात मेरी॥
ना मुझ में बल है, ना मुझ में विद्या,
ना मुझ ने भक्ति ना मुझ में शक्ति।
शरण तुम्हारी गिरा पड़ा हूँ,
हे मात मेरी हे मात मेरी॥
ना कोई मेरा कुटुम्भ साथी,
ना ही मेरा शरीर साथी।
आप ही उभारो पकड़ के बाहें,
हे मात मेरी हे मात मेरी॥
चरण कमल की नौका बना कर,
मैं पार हूँगा ख़ुशी मना कर।
यम दूतों को मार भगा कर,
हे मात मेरी हे मात मेरी॥
सदा ही तेरे गुणों को गाऊं,
सदा ही तेरे सरूप को धयाऊं।
नित प्रति तेरे गुणों को गाऊं,
हे मात मेरी हे मात मेरी॥
ना मैं किसी का ना कोई मेरा,
छाया है चारो तरफ अँधेरा।
पकड़ के ज्योति दिखा दो रास्ता,
हे मात मेरी हे मात मेरी॥
शरण पड़े हैं हम तुम्हारी,
करो यह नैया पार हमारी।
कैसी यह देरी लगाई है दुर्गे,
हे मात मेरी हे मात मेरी॥
How did it delay Durge,
O mother, my mother, my mother.
I am surrounded in the ocean
I am surrounded by work etc. at home.
I am caught in the trap of attachment etc.
Oh mother, my mother, my mother
There is neither strength in me, nor knowledge in me,
Neither I have devotion nor power in me.
Your refuge has fallen,
Oh mother, my mother, my mother
Neither my family mate,
Neither is my body mate.
You raise your arms by the grip,
Oh mother, my mother, my mother
By making a boat of lotus feet,
I will cross over happily.
By killing the messengers of Yama,
Oh mother, my mother, my mother
Always sing your praises,
Always bow to your face.
I will sing your praises every day,
Oh mother, my mother, my mother
Neither I nor anyone is mine,
There is shadow and darkness all around.
Hold the light and show the way,
Oh mother, my mother, my mother
We have taken refuge in you,
Do this cross ours.
How has this delay been delayed, Durga?
Oh mother, my mother, my mother