करुणामई श्री राधिके अब आ गया तुम्हरी शरण,
जैसा भी हूं तेरा ही हूं जाऊं कहां तजि के चरण,
असार इस संसार में भटका रहा रागी ये मन,
जबसे मिला मुझे वृंदावन भटकन मिटी पाया अमन,
तेरे दर की क्या महिमा कहूं रहते जहां नित रसिक जन,
यहां प्रेम बरसै रात दिन होता जन जीवन मगन,
तेरी युगल छवि दिल में बसे “वैष्णव” जन करते वंदना,
जाऊं मैं जब संसार से तेरे सामने हो मेरा मरण,
करुणामई श्री राधिके लो आ गया तुम्हरी शरण,
जैसा भी हूं तेरा ही हूं जाऊं कहां तजि के चरण,
Karunamayi Shri Radhike has now come to your refuge,
Whatever I am, I am yours, where should I go at the feet of Tji,
This ragi mind is wandering in this world,
Ever since I found Vrindavan wandering, found peace,
What is the glory of your rate, where the eternal souls live,
Here love rained night and day, people’s life was happy,
Your couple’s image resides in the heart of “Vaishnav” people doing Vandana,
Let me go when my death is in front of you from the world,
Karunamayi Sri Radhike has come to take your refuge,
Whatever I am, I am yours, where should I go at the feet of Tji,