कौन सुनेगा किसको सुनाऊं, किसलिये चुप बैठे हो
छोड़ तुझे मैं किस दर जाऊ, किसलिए चुप बैठे हो
मेरी हालत देख जरा तू, आँख उठा कर के बाबा,
मैं तो तेरी शरण पड़ा हूँ, क्यों तू मुझको बिसराता ।
मेरी खता क्या, इतना बता दो, किसलिए चुप बैठे हो…
क्या मैं इतना जान लूं मुझको समझा तूने बेगाना,
वरना दिल के घाव तुझे क्या पड़ते बाबा दिखलाना ।
दर्द बड़े है अब तो दवा दो, किसलिए चुप बैठे हो…
दुःख में कोई साथ ना देता कैसे तुझको समझाऊं
‘हर्ष’ तेरे बिन कौन समझेगा, किसको जा कर बतलाऊं ।
अपने भक्त से कुछ तो बोलो, किसलिए चुप बैठे हो…
Who will listen, whom should I tell, why are you sitting silent?
At what rate should I leave you, why are you sitting silent?
Look at my condition, you raise your eyes, Baba,
I have taken refuge in you, why do you forget me?
What is my letter, tell me this much, why are you sitting silent…
May I know so much that you understood me,
Otherwise, Baba should show you the wounds of the heart.
The pain is big, now give medicine, why are you sitting silent…
No one supports you in sorrow, how can I explain to you?
Who will understand ‘Harsh’ without you, I will go and tell whom.
Say something to your devotee, why are you sitting silent…