फागुन आया सजी खाटू नगरियां,
खाटू नगरिया में घूमे है सांवरियां,
मेरा संवारा सलोना घनश्याम घूम रहा नीले चढ़ के,
देखो खाटू के मेले में बाबा श्याम घूम रहा नीले चढ़ के,
नीले पे मक़बली जीन सजाई है,
घुंगरू की शन शन देती सुनाई है,
हीरे मोतियों से जड़ी है लगाम घूम रहा नीले चढ़ के,
केसरियां भागा बाबा श्याम ने सजाया है,
मोटी मोटी आखियो में कजरा लगाया है,
प्यारे गजरो से सजा है तमाम,घूम रहा नीले चढ़ के,
नीले घोड़े पे देखो बैठा कैसे तन के,
ऐसा लगे है जैसे बैठा दुलहा बन के,
जो भी देखे वही लेता दिल थाम,घूम रहा नीले चढ़ के,
आके खड़ा है देखो बीच बजरियाँ,
इस को निहारे दीपू सब की नजरियां,
प्यासी आखियो को मिले आराम,घूम रहा नीले चढ़ के,
Fagun came, decorated Khatu cities,
Saawariyas have roamed in Khatu Nagaria,
My groomed Salona Ghanshyam is roaming around in the blue,
Look, Baba Shyam is walking in the blue of Khatu’s fair,
Maqbali gene is decorated on blue,
Ghungroo’s voice is heard,
Diamonds are studded with pearls, the bridle is spinning in the blue,
Kesariyan Bhaga Baba Shyam has decorated,
There is a shadow in the thick eyes,
All are decorated with lovely Gajros, moving around in blue climbing,
Look at the blue horse, how the body was sitting,
It is as if sitting as a bridegroom,
Whatever he sees, he takes his heart, keeps walking around in blue,
Come and see the gravel in the middle,
Seeing this all eyes of Deepu,
Thirsty eyes get rest