एक कोया था वह अपने जीवन से खुश नहीं था
एक दिन एक साधु जा रहे थे कोए को देखा
और पूछा क्या बात तुम उदास क्यों है वो कहता में अपने रंग से खुश नहीं हूं
भगवान ने क्या काला रंग दिया कोई पसंद भी नहीं करता
र्फ श्राद्व को ही लोग मुझे याद करते है
साधु बोला अच्छा ये बता तुम क्या बनना चाहते हो कोए बोला मैं हंस बनना चाहता हूं कितना सुंदर है वो सफेद तो साधु बोला कि पहले एक बार हंस से मिलकर आ म तुम्हे हंस बना दूंगा
कोया हंस के पास जाता कहता तू कितना सुन्दर है हंस कहता को बोला तुम्हे म सुंदर नहीं हूं म तो तोता बनना चाहता हूं
वो दोनो तोते के पास जाते है और कहते है तू कितना अच्छा है सब तुम को कितना पियार करते है हम को तो कोई पसंद नहीं करता तोता कहता तुम्हे कों कहता मेरी जिंदगी अच्छी ह तोता कहता यदि मैं पेड़ो के बीच बैठ जाओ तो पता नहीं चलता कि मैं कहा बैठा हूं फिर वो तीनो मोर के पास चले गए मोर को कहते तू कितना सुन्दर है
मोर कहता तुम्हे कोन बोला मेरे पैर देखो एसी सुंदरता का क्या फायदा
तो कोए को एहसास हुआ कि को जैसा है वैसा ही ठीक है हम दूसरो की ज़िंदगी जी पसंद अती हैं
there was a person he was not happy with his life
One day a monk was going and saw someone
And asked why are you sad, he says that I am not happy with my complexion
no one likes what god gave black color
People remember me only on Shradh
The monk said, tell me what do you want to be, someone said that I want to be a swan, how beautiful is that white, then the monk said that once I meet a swan, I will make you a swan
Koya goes to the swan and says how beautiful you are
They both go to the parrot and say how good you are, everyone loves you so much, no one likes us That where I am sitting, then all three of them went to the peacock, saying to the peacock how beautiful you are.
Peacock says who told you, look at my feet, what is the use of such beauty
So Coe realized that Ko is fine as it is, we like to live other’s life.