अनुपम माधुरी जोड़ी हमारे श्याम श्यामा की।
रसीली रसभरी अखियां हमारे श्याम श्यामा की।।
कटीली भौं अदा बाकी, सुघर सुंदर मधुर बतियां।
लटक गर्दन की मन बसिया, हमारे श्याम श्यामा की।।
मुकुट और चंद्रिका माथे, अधर पर पान की लाली।
अहो कैसी भली भ छवि है, हमारे श्याम श्यामा की।।
परस्पर मिल कर जब बिहरैं,वे वृंदावन की कुंजन में।
नहीं वरनत रहे शोभा, हमारे श्याम श्यामा की।।
नहीं कुछ लालसा धन की, नहीं निवार्ण की इच्छा,
सखी श्यामा को दे दर्शन, दया हो श्याम श्यामा की।।
The unique Madhuri pair of our Shyam Shyama. Juicy raspberry buds of our Shyam Shyama. The prickly eyebrows remain, the sweet, beautiful and sweet words remain. The heart hangs around the neck, our Shyam Shyama’s. Crown and moon on the forehead, redness of betel leaf on the lips. Oh, what a beautiful image of our Shyam Shyama. When they meet each other and get separated, they are in the Kunjan of Vrindavan. No, instead the beauty remains, that of our Shyam Shyama. No desire for wealth, no desire for salvation, Give darshan to friend Shyama, may Shyama have mercy on Shyama.