बसो मेरो नैनन में नंदलाल नैनन में नंदलाल मोहनि मूरति साँवलि सूरति नैना बने कटार
मीरा का प्रेम, प्रेम की अंतिम व्याख्या है
कृष्ण से शुरू, कृष्ण पर समाप्त
मीरा के प्रेम में मीरा कहीं नहीं हैं
सिर्फ कृष्ण ही कृष्ण दृष्टव्य हैं।
मीरा के पास प्रेम में देने के अलावा
कृष्ण से लेना शेष नहीं है
मीरा का प्रेम अर्पण, समर्पण
और तर्पण का संयुक्त संधान है।
मीरा को कृष्ण से कुछ नहीं चाहिए
न प्रेम, न स्नेह, न सुरक्षा जय श्री राम ऐसे ऐसे भाव पढ़ने को मिले तब दिल तृप्त हो खुश्क ज्ञान से मक्खन नहीं निकलता
जंहा प्रेम है वहीं भगवान हैं
In Baso Mero Nainan, Nandlal Mohani Murti Saanli Surti Naina became a dagger in Nainan Meera’s love is the ultimate definition of love Beginning with Krishna, ending at Krishna Meera is nowhere in Meera’s love Only Krishna is Krishna’s vision. In addition to giving in love to Meera Nothing left to take from Krishna Meera’s love offering, dedication And there is a joint solution of tarpan. Meera doesn’t want anything from Krishna Neither love, nor affection, nor security. where there is love there is god