मैं हूँ शरण में तेरी संसार के रचैया
कश्ती मेरी लगा दो उसपार ओ कन्हैया
मेरी अरदास सुन लीजे
प्रभु सुध आन कर लीजे
दरश इक बार तो दीजे
मैं समझूंगा श्याम रीझे
पतवार थाम लो तुम
मजधार में है नैय्या
मैं हूँ शरण में तेरी संसार के रचैया, कश्ती मेरी लगा दो उसपार ओ कन्हैया
भगत बेचैन है तुम बिन
अँधेरी रेन है तुम बिन
कही ना चैन है तुम बिन
है उदास देखो तुम बिन
गोपी ग्वाल गैय्या
मैं हूँ शरण में तेरी संसार के रचैया, कश्ती मेरी लगा दो उसपार ओ कन्हैया
दयानिधि नाम है तेरा
कहाते हो अंतर्यामी
समाये हो चराचर में
सकल संसार के स्वामी
नमामि नमामि हरदम
त्रिजधम के बसैया
मैं हूँ शरण में तेरी संसार के रचैया, कश्ती मेरी लगा दो उसपार ओ कन्हैया
तेरी यादो का मन मोहन
ये दिल में उमड़ा है सावन
बुझेगी प्यास इस दिल की
सुनूंगा जब तेरा आवन
पावन पतित को करना
जगदीश ओ कन्हैया
मैं हूँ शरण में तेरी संसार के रचैया
कश्ती मेरी लगा दो उसपार ओ कन्हैया