ये कौन चित्रकार है ये कौन चित्रकार है

ये कौन चित्रकार है ये कौन चित्रकार है
जिसने मेरे प्यारे कान्हा का किया ये श्रृंगार है

तरह तरह के रंग से सांवले से अंग पे
तरह तरह से रूप को कर दिया निखार है
ये कौन चित्रकार है कि जिसने
मेरे प्यारे कान्हा का किया ये श्रृंगार है।

इस पवित्र पावन रूप को निहार लो
इस छवि को इन गुणों को मन में उतार लो
ये किसने फूल फूल से इनका किया श्रृंगार है
ये कौन चित्रकार है की जिसने
मेरे प्यारे कान्हा का किया ये श्रृंगार है।

चमका दो आज लालिमा अपने ललाट की
कण कण में छवि बसती है इस पुरुष विराट की
अपने तो दो ही नेत्र है इनकी सहस्त्र हज़ार है
ये कौन चित्रकार है
मेरे प्यारे कान्हा का किया ये श्रृंगार है।

ये किस कवि की कल्पना का चमत्कार है
कि जिसने मेरे प्यारे कान्हा का किया ये श्रृंगार है।



who is this painter who is this painter This is the makeup done by my dear Kanha

different colors from dark to dark The form has been refined in different ways Who is this painter who This is the makeup done by my dear Kanha.

behold this holy holy form take this image in mind these qualities Who has decorated her with flowers and flowers? Who is this painter who This is the makeup done by my dear Kanha.

shine the redness of your forehead today The image of this great man resides in every particle We have only two eyes, they have thousands of thousands. who is this painter This is the makeup done by my dear Kanha.

Which poet’s imagination is this? That the one who did my dear Kanha, this is makeup.

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