करउँ सदा तिन्ह कै रखवारी।
जिमि बालक राखइ महतारी॥
प्रभु श्री राम देवर्षि नारदजी को समझाते हुए कहते हैं कि..
हे मुनि! सुनो, मैं तुम्हें हर्ष के साथ कहता हूँ कि जो समस्त आशा-भरोसा छोड़कर केवल मुझको ही भजते हैं,मैं सदा उनकी वैसे ही रखवाली करता हूँ, जैसे एक माता अपने बालक की रक्षा करती है।
सुनु मुनि तोहि कहउँ सहरोसा।
भजहिं जे मोहि तजि सकल भरोसा॥
करउँ सदा तिन्ह कै रखवारी।
जिमि बालक राखइ महतारी॥
प्रभु कहते हैं मैं अपने भक्तों की रक्षा माता की तरह करता हूँ।
यहाँ माता शब्द का प्रयोग प्रभु करते हैं पिता का नहीं।
क्योंकि पिता कभी भी पुत्र की रखवाली माता की तरह नहीं कर सकता।
पर इसका अर्थ यह नहीं है कि पिता का प्रेम कम होता है बल्कि हमे ये समझना है कि पिता भरण पोषण पालन और संरक्षण प्रदान कर्ता है पर पुत्र (शिशु) के साथ हमेशा नहीं रह सकता है। उसका कारण है पालन पोषण तथा अन्य आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए एक पिता की व्यस्तता स्वाभाविक है।
पर माता कहीं भी घर में रहे पर दृष्टि (ध्यान) हमेशा बालक की ओर ही रहता है।
सारांश यह है कि हमे किसी और से कुछ आशा या भरोसा रखने से ज्यादा महत्वपूर्ण है कि हम ईश्वर पर भरोसा करे और उनका निष्ठा के साथ भजन करें
तो प्रभु भी मातृवत स्नेह और संरक्षण अवश्य प्रदान करेंगे।
💐श्री राम जय राम 🌺जय जय राम💐🙏