क्यों खा रहा है ठोकर चल श्याम की शरण में
मत वक़्त काट रोकर चल श्याम के शरण में
क्यों खा रहा है ठोकर………..
कष्टों को तेरे हारेगा खुशियों से दामन भरेगा
ऐसा दयालु ये दाता है कल्याण तेरा करेगा
तू देख इसका होकर चल श्याम के शरण में
क्यों खा रहा है ठोकर………..
रिश्तों को दिल से निभाता है सोइ उम्मीदें जगाता है
जिसका ना कोई सहारा है ये उसका खुद बन जाता है
जो आता यहाँ खोकर चल श्याम के शरण में
क्यों खा रहा है ठोकर………..
ये हाथ जिसका पकड़ता है फिर वो कभी ना भटकता है
बन जाता जन्मो का स्तिथि ये अपनों का ये ध्यान रखता है
कुंदन चरण को धोकर चल श्याम के शरण में
क्यों खा रहा है ठोकर……….
Why is he eating, stumbling in the shelter of Shyam
Don’t waste your time and walk in Shyam’s shelter.
Why is eating stumbling…………
You will lose your troubles, will fill your arms with happiness
Such a merciful giver will do your welfare
You see, walk through it in the shelter of Shyam
Why is eating stumbling…………
Plays relationships with heart, so it raises hopes
Who has no support, it becomes his own
Whoever comes here and goes in the shelter of Shyam
Why is eating stumbling…………
Whose hand it holds, then it never wanders
It becomes the status of birth, it takes care of its loved ones.
Washing Kundan’s feet, walk in the shelter of Shyam.
Why is eating stumbling…………