मैं बेकदर था कदर हो गई मेरे सांवरे की मेहर हो गई है,
मेरे सिर पे ऐसा हाथ फिराया ज़मी का था कटरा फलक पे बिठाया,
किया मुझपे एहसान मेरे सँवारे ने भिखारी को अपने गले से लगाया,
दुआ मांगी थी वो असर हो गई है,
मेरे सँवारे की नजर हो गई है,
मैं बेकदर था….
वृंदा में बनकर उड़ा जा रहा हु रेहमत से इसकी चला जा रहा हु,
ज़माना हुआ है हैरान सारा कहा से खुशिया मैं सभी पा रहा हु,
छुपा कर थी राखी जो बाते सभी से,
सभी को अब इसकी खबर हो गई है,
मैं बेकदर था….
कोई भी नहीं था मेरा इस जहाँ में,
कहु सच में यारो जमी आस्मां में,
यहाँ शर्मा जाता वही हार पाता,
चला आया जब से खाटू आसिया में,
वही हार मुझसे हार रही है,
वही जीत मेरी हमसफ़र हो रही है,
मैं बेकदर था…..
I was unbearable, I have appreciated my beauty,
Such a hand was turned on my head, the ground was of the ground, the bowl was placed on the panel,
did me a favor my groom hugged the beggar by his throat,
I had prayed for that effect.
I have lost sight of my bride,
I was back….
I am being blown away in Vrinda, I am going away from it due to rehmat
It’s time to wonder where I am getting all the happiness,
The things that Rakhi was hiding from everyone,
Everyone is now aware of this,
I was back….
No one was mine in this place,
Say really friends in the frozen sky,
If he would have been shy here, he would have lost,
Ever since Khatu came to Asia,
That defeat is losing me,
That victory is my companion,
I was back…..