मैं तो करू यात्रा निस दिन चारो धाम की,
क्योंकी मेरे गले में पड़ी है माला साई नाम की,
साईं का मैं पुजारी जाने ये दुनिया सारी,
उपकार मेरा उन पर उनका मैं हु अबहारी,
मेरे मन में वसी हिया छवि साईं राम की,
मैं तो करू यात्रा निस दिन…
करता जो उनकी भक्ति हर दुःख से मिलती मुक्ति,
साईं है मेरे स्वामी अद्भुत है उनकी शक्ति,
साईं साईं की रट है जी बड़े काम की,
मैं तो करू यात्रा निस दिन…
साईं को जब पुकारा उस पल मिला सहारा,
पल भर में भाव से मुझको लक्खा मिला सहारा,
साईं मूरत में है सुरत घनश्याम की,
मैं तो करू यात्रा निस दिनस्वरलखबीर सिंह लक्खा
I will travel every day to Char Dham,
Because there is a garland named Sai lying around my neck.
I am the priest of Sai, this whole world is known,
I owe them to them, I am Abahari,
The image in my mind of Sai Ram,
I will travel someday…
Whoever does his devotion gets freedom from every sorrow,
Sai is my lord, his power is amazing.
Sai is the rut of Sai, of great work,
I will travel someday…
Sai got support at that moment when he called,
In a moment, I got a lakh of support with emotion,
In the image of Sai is the Surat of Ghanshyam,
Main To Karoon Yatra Nis DinSwarlakhbir Singh Lakha