मेरे दाता के दरबार में,
सब लोगो का खाता,
जो कोई जैसी करनी करता,
वैसा ही फल पाता,
क्या साधू क्या संत गृहस्थी,
क्या राजा क्या रानी,
प्रभू की पुस्तक में लिक्खी है,
सबकी कर्म कहानी,
अन्तर्यामी अन्दर बैठा,
सबका हिसाब लगाता,
मेरे दाता के दरबार में,
सब लोगो का खाता,
बड़े बड़े कानून प्रभू के,
बड़ी बड़ी मर्यादा,
किसी को कौड़ी कम नहीं मिलती,
मिले न पाई ज्यादा,
इसीलिए तो वह दुनियाँ का
जगतपति कहलाता,
मेरे दाता के दरबार में,
सब लोगो का खाता,
चले न उसके आगे रिश्वत,
चले नहीं चालाकी,
उसकी लेन देन की बन्दे,
रीति बड़ी है बाँकी,
समझदार तो चुप रहता है,
मूरख शोर मचाता,
मेरे दाता के दरबार में,
सब लोगों का खाता है
उजली करनी करले बन्दे,
करम न करियो काला,
लाख आँख से देख रहा है,
तुझे देखने वाला,
उसकी तेज नज़र से बन्दे,
कोई नहीं बच पाता,
मेरे दाता के दरबार में,
मेरे दाता के दरबार में,
सब लोगो का खाता
In my benefactor’s court,
account of all people,
Whoever does what
get the same result,
Whether a monk or a saint householder,
what king or queen
It is written in the book of the Lord,
everyone’s karma story,
Antaryami sat inside,
Counting all
In the court of my donor…..
The great laws of the Lord,
great limit,
no one gets a penny less,
Couldn’t find much,
That’s why the world
called Jagatpati
In the court of my donor……
Do not go bribe in front of him,
Don’t go smart
of his transactions,
The ritual is big, the rest
Wise remains silent
Foolish noises,
In the court of my donor…..
The men have to do the lightening,
don’t do karam kala,
looking with a million eyes,
to see you,
Closed by his sharp eyes,
no one can escape,
In the court of my donor…..
In my benefactor’s court,
everyone’s account