मेरे मन में तेरा वृद्धावन,
मेरी आँखों में तस्वीर तेरी,
मुझे जब से तेरी लगन लगी,
बदल गई तकदीर मेरी,
मेरे मन में तेरा वृद्धावन,
धड़कन में तू ही समाया है,
है रोम रोम में तू ही तू,
सांसो ने जब तेरा ध्यान किया आ गया मेरे तू रुबरु ,
कदमो में थी यो तृष्णा थी टूट गई जंजीर मेरी,
मेरे मन में तेरा वृद्धावन,
मैं देखु यहाँ नजरो को वहा अब तू ही दिखाई देता है,
अपनी मोहक मुस्कान से तू मेरा सारा दुःख हर लेता है,
बरसो तड़पाया है जिसने दुरी हुई वो पीड़ मेरी,
मेरे मन में तेरा वृद्धावन,
धरती पे जब भी जन्म मिले गोपाल तेरा गुण गाउ मैं,
इक बार पकड़ ले बाह मेरी भव सागर से तर जाऊ मैं,
करती है विनती कर जोड़ बलजीत की आंखे नीर बरी,
मेरे मन में तेरा वृद्धावन,
Your old age in my heart,
Your picture in my eyes
Ever since I fell in love with you,
My destiny has changed,
Your old age in my heart,
You are in the heartbeat,
You are the only one in Rome.
When the breath has meditated on you, I have come to know you,
My craving was in my feet, my chain was broken.
Your old age in my heart,
I see here, now you can see the eyes there,
With your charming smile you take away all my sorrows,
Years ago, the one who has tormented my pain,
Your old age in my heart,
Whenever I get birth on earth, Gopal will sing your praises,
Take hold of me once, let me get engulfed by the ocean,
By begging, Baljit’s eyes are acquitted.
Your old age in my heart,