मेरे सतगुरु तेरी नौकरी सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
खुश नसीबी का जब गुल खिला तब कही जाके ये दर मिला,
हो गई अब तो रेहमत तेरी सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
तेरे दरबार की हज़ारी सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
मैं नहीं था किसी काम का ले सहारा तेरे नाम का ॥
बन गई अब तो बिगड़ी मेरी सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
तेरे दरबार की हज़ारी ………
जबसे तेरा गुलाम हो गया,तबसे मेरा भी नाम हो गया,
वार्ना औकात क्या थी मेरी सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
तेरे दरबार की हज़ारी ……
मेरी तन्खा भी कुछ काम नहीं कुछ मिले न मिले गम नहीं,
ऐसी होगी कहा दूसरी सबसे बढ़िया सबसे खरी,
तेरे दरबार की हज़ारी ………
इक बिजोगी दीवाना हु मैं ख़ाख़ चरणों की चाहता हु मैं,
आखिर इल्तजा है मेरी सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
तेरे दरबार की हज़ारी ………
वाहेगुरु वाहेगुरु……….
My Satguru, your job is the best, the best
When the gul of happy luck was fed, then I got this rate somewhere.
It’s done, now your rehmat is the best, the best
The Hazari of your court is the best
I was not of any use to take the help of your name.
My best is the best,
The Hazari of your court………
Ever since I became your slave, my name has also become
What was my status, my best is the best,
Hazari of your court……
My salary is also nothing to do, I get nothing, I don’t get any sorrow,
It will be said that the second best is the best,
The Hazari of your court………
I am crazy about my feet.
After all, it is my best that is the best,
The Hazari of your court………
Waheguru Waheguru………..