सुख दुःख का लगा है मेला इस संसार में
मुझे छोड़ न देना श्याम कहीं मँझदार में
कहीं पतझड़ कहीं पे फूल खिले हैं बहार में
मुझे छोड़ न देना श्याम कहीं मँझदार में
मीरा का तुम बांके सहारा विष को कर दिया अमृत धरा
द्रौपदी संग भी प्रीत निभाई जाकर तुमने लाज बचाई
तुम लाज मेरी भी रखना इस बर्बार में
मुझे छोड़ न देना श्याम कहीं मँझदार में
तेरे हवाले नैया हमारी पार करो हे कृष्ण मुरारी
हाथ मेरा प्रभु छोड़ ना देना सुनलो विनती नाथ हमारी
हम चलो पड़े हैं मोहन बिन पतवार के
मुझे छोड़ न देना श्याम कहीं मँझदार में
दींन दुखी सब कष्ट के मारे आते हैं प्रभु तेरे द्वारे
मैं भी आया है जगदाता जीवन मेरा तेरे सहारे
विजयराज भी लगे हैं इसी कतार में
मुझे छोड़ न देना श्याम कहीं मँझदार में
There is a fair of happiness and sorrow in this world
don’t leave me shyam somewhere in the middle
Somewhere in the fall flowers have bloomed somewhere in the spring
don’t leave me shyam somewhere in the middle
Meera’s support of you turned poison to nectar
You saved your shame by playing love with Draupadi too
You keep my shame too in this barbara
don’t leave me shyam somewhere in the middle
Let us cross you, O Krishna Murari
Don’t give up my Lord’s hand, listen to our request.
We have come to Mohan Bin Hull’s
don’t leave me shyam somewhere in the middle
The oppressed, all come with pain, Lord through you
I have also come, the world of my life with the help of you
Vijayraj is also engaged in the same line.
don’t leave me shyam somewhere in the middle