ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
पास हमारे कुछ भी नहीं,
केवल भाव चड़ाना है ॥
जब से तेरी सूरत देखि,
तुम में प्रेम की मूरत देखि ।
अपना तुम्हे बनाना है,
अपना तुम्हे बनाना है ॥
और किसी को क्या मैं जानू,
अपनी लगन को सब कुछ मानू ।
दिल का दरद सुनाना है,
दिल का दरद सुनाना है ॥
जनम जनम से भटकी मोहन,
युग युग से मैं भटकी प्रीतम ।
अब ना तुम्हे भुलाना है,
अब ना तुम्हे भुलाना है ॥स्वरपूज्य कृष्ण चन्द्र शास्त्री (ठाकुर जी)
Neither I Meera nor I Radha,
Still Shyam has to get it.
we have nothing,
Only to make sense.
Ever since I saw your face,
See the image of love in you.
make your own,
You have to make your own
And do I know anyone,
Take your passion as everything.
to hear heartache,
Heart ache is to be heard
Mohan strayed from Janam Janam,
I wandered from era to era, Pritam.
Now you don’t have to forget
Now you don’t have to forget Swarpujya Krishna Chandra Shastri (Thakur ji)