मेरे रघुनन्दन घर आये,
श्री राम प्रभु घर आये,
हमसब मिलकर दीवाली,
पावन त्यौहार मनाये,
घर घर में दीप जलाएं,
मेरे रघुनन्दन घर आये,
श्री राम प्रभु घर आये,
जिनका जीवन मानवता,
और मर्यादा के पाठ सिखाएं,
श्री राम जय राम जय जय राम
मर्यादा में रहकर वो स्वयं,
पुरुषोत्तम है कहलाये,
कांटों के पथ पर चलकर
चौदह वर्ष है वन में बिताये,
अब रघुनन्दन घर आये,
श्री राम प्रभु घर आये,
चाहे सुख हो, चाहे दुःख हो,
वो प्रति क्षण रहते मुस्काये,
राजपथ को छोड प्रभु –
सीता संग वन में जाए,
और पिता का वचन निभाए,
प्रभु हनुमान को शक्ति दे,
लक्ष्मण के प्राण बचाये,
अब रघुनंदन घर आये,
श्री राम प्रभु घर आये,
इस धरती पर असुरो ने थे,
हाहाकार मचाये
रावण ने जब थे, पापविनाश बढ़ाये,
तब प्रभु विष्णु श्री राम रूप धर,
इस धरती पर आये,
और दुष्ट जनो को मिटाये,
रावण को मारा, विभीषण को,
लंका का राज दिलाये,
अब रघुनंदन घर आये,
श्री राम प्रभु घर आये
देखो गली गली और शहर शहर,
दीपक है जगमगाये,
आओ हमसब मिलकर दीवाली
पावन त्यौहार मनाये,
घर घर में दीप जलाएं,
मेरे रघुनन्दन घर आये,
श्री राम प्रभु घर आये,