राम को देख कर के जनक नंदिनी

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राम को देख कर के जनक नंदिनी,
बाग़ में वो खड़ी की खड़ी रह गयी ।
राम देखे सिया को सिया राम को,
चारो अँखिआ लड़ी की लड़ी रह गयी ॥

यज्ञ रक्षा में जा कर के मुनिवर के संग,
ले धनुष दानवो को लगे काटने ।
एक ही बाण में ताड़का राक्षसी,
गिर जमी पर पड़ी की पड़ी रह गयी ॥

राम को मन के मंदिर में अस्थान दे
कर लगी सोचने मन में यह जानकी ।
तोड़ पाएंगे कैसे यह धनुष कुंवर,
मन में चिंता बड़ी की बड़ी रह गयी ॥

विश्व के सारे राजा जनकपुर में जब,
शिव धनुष तोड़ पाने में असफल हुए ।
तब श्री राम ने तोडा को दंड को,
सब की आँखे बड़ी की बड़ी रह गयी ॥

तीन दिन तक तपस्या की रघुवीर ने,
सिंधु जाने का रास्ता न उनको दिया ।
ले धनुष राम जी ने की जब गर्जना,
उसकी लहरे रुकी की रह गयी ॥

Seeing Ram, Janak Nandini,
She stood standing in the garden.
Ram sees Siya Ko Siya Ram,
All four eyes were left behind.
Going to protect the yajna and accompanying the sage,
Take the bow to bite the demons.
Tadka demonic in a single arrow,
It was left lying on the ground.
Give Ram a place in the temple of the mind
I started thinking about this in my mind.
How will this bow Kunwar be able to break,
Anxiety remained big in my mind.
When all the kings of the world were in Janakpur,
Shiva failed to break the bow.
Then Shri Ram broke the punishment,
Everyone’s eyes got bigger.
Raghuveer did penance for three days,
He was not given the way to go to Sindhu.
Le Dhanush when Ram ji roared,
His waves stopped.

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