राम लखन भरत शत्रुघ्न
बीच में जानकी माई हैं
मारुति नन्दन संग बिराजे ,, निरख रहे रघुराई हैं
बरसों बाद अयोध्या में, इक खुशी अनौखी छाई है।
राम के आने पर सबने ,, यह नगरी खूब सजाई है
हर्षित हैं सब ,, राम मिलन की , घड़ी निराली आई है ,
मारुति नन्दन संग बिराजें , निरख रहे रघुराई हैं
सभी देवताओं ने मिलकर ,पुष्प यहाँ बरसाये हैं ,
देखो खुश होकर ये बादल भी , कैसे घिर आये हैं
तीनों माता द्रवित हो रहीं ,अश्रुधार बरसाई हैं ,
मारुति नन्दन संग बिराजे ,निरख रहे रघुराई हैं
राम लखन भरत शत्रुघ्न
बीच में जानकी माई हैं
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