रामा रामा रटते रटते, बीती रे उमरिया। रघुकुल नंदन कब आवोगे, भीलनी की डगरिया। .
मैं शबरी भिलनी की जाई, भजन भाव न जानूं रे। राम तुम्हारे दर्शन के हित, बन में जीवन पालूं रे। चरण कमल से निर्मल करदो, दासी की झोंपड़ीयां ।।
रोज सबरे बन में जाकर, रस्ता साफ करती हूं। अपने प्रभु के खातिर बन से, चुन चुन के फल लाती हूं। मीठे-मीठे बेरन की भर, लाई मैं छाबड़िया ।।
सुन्दर स्याम सलोनी सूरत, नैनन बीच बसाऊंगी। पद पंकज की रज मस्तक धर, चरणों में शीश नवाऊंगी। प्रभुजी मुझको भूल गये क्या, लो दासी की खबरिया ।।३।।
नाथ तुम्हारे दरशन के हित, मैं अबला एक नारी हूं। दरशन बिन दोऊ नैना तरसे, दिल की बड़ी दुखियारी हूं। मुझको दरशन देवो दयामय, खोलो महर नजरिया ।।४।।
Rama Rama Ratate Ratate, Biti Re Umriya. When will you come, Raghukul Nandan, the path of Bhilni? . . . .
I am Shabari Bhilni Ki Ki, I don’t know the meaning of the bhajan. Ram, for the sake of your darshan, I will nurture my life in the forest. Cleanse the lotus feet of the maid’s huts.
Every day I go as a saber and clean the road. For the sake of my Lord, I bring forth fruits selectively from the forest. I have brought Chhabria full of sweet berries.2.
I will settle in the beautiful Siam Saloni, Surat, Nainan Beach. I will bow my head to the feet of Pankaj, I will bow my head in the extremes. Lord, why should you forget me? Take the news of the maid. 3.
Lord, in the interest of your darshan, I am a helpless woman. My eyes long for darshan without seeing, I am very sad at heart. Give me a merciful darshan, open your eyes to me.4.