रिश्ता हमारा श्याम से कितना अजीब है,
वह बैठा खाटू धाम में फिर भी करीब है,
रिश्ता हमारा श्याम से कितना अजीब है,
हर रोज तेरी किरपा को महसूस कर रहा,
हर मुश्किलों से संवारा हस हस के लड़ रहा ,
तेरे भरोसे सँवारे तेरा ये जीव है,
वह बैठा खाटू धाम में फिर भी करीब है,
रिश्ता हमारा श्याम से कितना अजीब है,
इज्जत को मेरी सँवारे लूटने नहीं दियां
हारा कई दफा मगर गिरने नहीं दिया ,
मेरे कर्म पे सँवारे तू ही सरीख है ,
वह बैठा खाटू धाम में फिर भी करीब है,
रिश्ता हमारा श्याम से कितना अजीब है,
गुणगान तेरे कर सकू ऐसा हुनर दियां ,
शिवम् नहीं या लायक फिर भी वर दियां,
ओरो की बात क्या कहू मेरा नसीब है,
वह बैठा खाटू धाम में फिर भी करीब है,
रिश्ता हमारा श्याम से कितना अजीब है,
How strange is our relationship with Shyam,
He is still close in sitting Khatu Dham,
How strange is our relationship with Shyam,
Feeling your mirpa everyday,
Fighting with laughter from every difficulty,
This is your life, decorated with your trust.
He is still close in sitting Khatu Dham,
How strange is our relationship with Shyam,
Don’t let my honor rob me
Lost many times but did not let it fall,
You are the only one who adorns my karma,
He is still close in sitting Khatu Dham,
How strange is our relationship with Shyam,
Gave me such a skill that I could praise you,
Shivam is not or deserved but still gave a boon,
What can I say about Oro, I am lucky.
He is still close in sitting Khatu Dham,
How strange is our relationship with Shyam,