साई की मन भावनी मूरत

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साई की मन भावनी मूरत मन में है समाई,
साई धुन की एक अजीब दीवानगी सी छाई,
मैं हुआ दीवाना हो लोगो हुआ दीवाना,
मैं साई का दीवाना मैं बाबा का दीवाना,

साई नैनो में झाको तो सदा झलक ता प्यार है,
साई के हाथो में देखो पतला ये संसार है,
अब तो साई दवार को छोड़ और कही ना जाना,
साई नाम की माला का मैं बन जाओ इक दाना,
मैं हुआ दीवाना हो लोगो हुआ दीवाना,

घर में ना आंगन में ये दिल लगता है न गुलशन में,
मित्रो में परिवार में न साथी के संग मधुवन,
तू ही रहीम तू ही राम तू ही मेरा कान्हा,
क्यों जाऊ मैं मथुरा काशी क्यों जाऊ मदीना,
मैं हुआ दीवाना हो लोगो हुआ दीवाना,

Sai’s mind-conscious image is in the mind,
A strange craze of Sai Dhun prevailed,
I am crazy, people are crazy,
I am crazy about Sai, I am crazy about Baba,

In Sai Nano, there is always a glimpse of love,
Look in the hands of Sai, this world is thin,
Now don’t go anywhere else except Sai Dwar.
I become a grain of the rosary of Sai name,
I am crazy, people are crazy,

This heart feels neither in the house nor in the courtyard, nor in Gulshan,
In friends, neither in family nor with partner, Madhuvan,
You are Rahim, you are Ram, you are my Kanha,
Why should I go to Mathura, Kashi, why should I go to Medina,
I am crazy, people are crazy,

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