साईं साईं जपते जपते मैं खुद साईं हो जाती हु
साईं से जो सिखा वो तुम्हे बताती हु
साईं साईं जपते जपते मैं खुद साईं हो जाती हु
देना हो तो दीजिये प्रेम दया दान में
पर्ब्दी में पड़ जाता है आदमी घुमान में
सत साईं रटते रटते साईं नाम जपते जपते मैं कमली हो जाती हु
साईं से जो सिखा वो तुम्हे बताती हु
साईं साईं जपते जपते मैं खुद साईं हो जाती हु
इक जगह से आये हो उतरे इक ही घाट पे,
हवा संसार की पट गए धर्म और जात पे
इक ही मालिक सब का इक हिमत बतलाती हु
साईं से जो सिखा वो तुम्हे बताती हु
साईं साईं जपते जपते मैं खुद साईं हो जाती हु
तू भी साईं मैं भी साईं जाने जानन हारा
साईं सागर तू है बूंद रूप वो तुम्हारा,
साईं जी का बन के प्यारा साईं में ही समाती हु
साईं से जो सिखा वो तुम्हे बताती हु
साईं साईं जपते जपते मैं खुद साईं हो जाती हु
I myself become Sai by chanting sai sai
I will tell you what I learned from Sai.
I myself become Sai by chanting sai sai
If you want to give, give love kindness in charity
The man falls in the veil
I become Kamali as I chant the name of Sat Sai.
I will tell you what I learned from Sai.
I myself become Sai by chanting sai sai
You have come from one place and landed on the same ghat,
The wind has engulfed the world on religion and caste
The same owner tells the same interest of all
I will tell you what I learned from Sai.
I myself become Sai by chanting sai sai
You too Sai, I too lost my life knowing Sai
Sai Sagar, you are the drop form that is yours,
By becoming Sai ji’s beloved, I merge in Sai only.
I will tell you what I learned from Sai.
I myself become Sai by chanting sai sai