साई राम तुम्हारी शिरडी में मुझे मेरे चारो धाम मिले,
आंगन में द्वारका माई के कही राम मिले कहे श्याम मिले,
उस नीम की छाँव का क्या कहना जिस नीम के निचे तुम बैठे,
होती है बड़ी ही हैरानी उस नीम के पते है मीठे,
इस शीतल छाँव में आते ही मेरे मन को आराम मिले,
साई राम तुम्हारी शिरडी में मुझे मेरे चारो धाम मिले,
इक झलक तुम्हारी देखो तो तुम भोले नाथ नजर आये,
दो पल में फिर बनकर विष्णु लक्ष्मी के साथ नजर आये,
की बंध पलके तो पलकों में मुझे साई तुम्हारे राम मिले,
साई राम तुम्हारी शिरडी में
ये स्वर्ग बसा कर शिरडी में भक्तो पे बड़ा उपकार लिया,
सच कहो भुला कर मुझको यह तुमने मेरा उधार किया,
जब घर लौटे तो शिरडी से मुझे बने हुए सब काम मिले,
साई राम तुम्हारी शिरडी में
Sai Ram, in your Shirdi, I found my four dhams,
Somewhere in the courtyard of Dwarka Mai, when Ram met, Shyam met,
What to say about the shade of that neem under which you are sitting,
It is very surprising that the address of neem is sweet,
May my mind rest as soon as I come in this cool shade,
Sai Ram, in your Shirdi, I found my four dhams,
If you have a glimpse of you, you are seen as innocent.
In two moments, Vishnu appeared again with Lakshmi.
When I got my shackles, I found Sai your Ram in my eyelids.
Sai Ram in your Shirdi
By establishing this heaven, he did a great favor to the devotees in Shirdi.
Tell me the truth, you lent me this by forgetting me,
When I returned home, I got all the works made by Shirdi.
Sai Ram in your Shirdi