साईं वे साढी फरियाद तेरे ताहि

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कोई अली आखे कोई वली आखे, कोई कहे दाता सचे मालिका नु ।
मेनू समज न आवे की नाम देवा, एस गोल चकी दिया चालका नु ॥

रूह दा असल मालिक ओही मानिये जी, जिदा नाम लईए ता सरुर होवे ।
अखा खुलिया नू महबूब दिस्से, अखा बंद होवण ता हुजुर होवे ॥

कोई सौन वेले कोई नहान वेले, कोई गौण वेले तैनू याद करदा ।
एक नजर तू मेहर दी मार साईं, सरताज वी खड़ा फरयाद करदा ॥
टुटेजा संधू वी खड़ा फ़रेयाद करदा ॥

साईं वे साढी फरियाद तेरे ताहि, साईं वे बह्हो फ़ढ़ बेड़ा बन्ने लाई ।
साईं वे मेरेआं  गुनाहा नु लुकाई , साईं वे हाजरा हजूर वे तू आई ॥

साईं वे फेरा मस्कीना वाल पाई , साईं वे बोल काक सारा दे पुगई ।
साईं वे हक विच फैसले सुनाई , साईं वे हौली – हौली खामिया घटाई ।
साईं वे मेनू मेरे अन्द्रो मुकाई, साईं जे डीगिये ता फर के उठाई ।
साईं वे देखि ना भरोसे आजमाई, साईं वे औखे -सौखे रहा चो काढायीं ।
ओ साईं, कला नु वी होर चमकाई, वे सूरा  नु बिठा दे थो – थाई ।

साईं वे ताल विच तुरना सिखाई , साईं वे साज रूस गए ता मनाई ।
साईं वे ऐहना नाल आवाज़ वे रालायी , साईं वे अखरा दा मेल तू  कराइ ।
साईं वे कन्नी किसे गीत दी फडाई, साईं वे शब्दा दा साथ वी निभाई ।
साईं वे नगमे नू फड़ के जगाई , साईं वे शायरी च असर वखायीं ।
साईं वे ज़ज्बे दी वाले नु वडाई , साईं वे गुट-गुट सब नु पेआयीं ।
साईं वे इश्कुए दा नशा वी चाडायीं, साईं वे सैर तू ख्यालां नू कराई ।
साईं वे  तारेआं दे देश ली के जावीं , साईं वे फुफिया दे वांगरा नचाई ।
साईं वे असी सज बैठे चाईं-चाईं , साईं वे थोड़ी बौती अदा वी सिखाई ।
साईं वे मेरे  नाल- नाल  तू वे गायीं ।
साईं वे साईं  लाज सरताज दी बचाई, साईं वे भुलेये नू  ऊँगली फराई ।
साईं वे अग्गे हो के राह रोषनयी ,साईं वे नेहरा विच पल्ले ना छुडायीं ।
साईं वे जिंदगी दे भोज नु चुकाई , साईं वे फिखारा नु हवा च उढाई ।
साईं वे सारे लगे दाग वी धोअई , साईं वे सिले-सिले नैना नु सुखाई ।
साईं वे दिला दे गुलाब महकाई, साईं वे बस पट्टी  प्यार दी पढ़ाईं ।
साईं वे पाक साफ़ रहा नु मलाई , साईं वे बच्चेआ दे वंगु समझाईं ।
साईं वे माड़े कामो घूर के हटाई , साईं वे खोटेया नु खरे च मिलाई ।
साईं वे लोहे नाल पारस कसाई, साईं वे मेहेंता दे मूल वे पवाई ।

ओ साईं वे मारेया दी मंदी न विखाई, साईं वे देखि हून देर न लगाई ।
साईं वे दारां ते खरे हा खैर पाई, साईं वे महरा वाले मीह वि वरसाई ।
साईं वे अकला दे घड़े नु पराई , साईं वे घुम्बद गरूर दे गिराई ।
साईं वे आग वंगु  हौसले  पखाई , साईं वे अम्बरा तोह सोच  मंगवाई ।
साईं वे अपे वाज़ मार के बुलाई , साईं वे हुन सानु  कोल वे बिठाई ।
साईं वे अपने ही रंग च रंगाई , साईं वे मैं हर वेहले करां साईं साईं ।

साईं वे तोते वांगु बोल वी रटाई , साईं वे आत्मा दा दीवा वी जगाई ।
साईं वे अनहद नाद तू वजाई , साईं वे रूहानी कोई तार छेड़ जाईं ।
साईं वे सच्ची(honest) सरताज वी बनाई ।
साईं वे सच्ची टुटेजा वी बनाई ।
साईं साईं साईं ॥

कोई अली आखे कोई वली आखे, कोई कहे दाता सचे मालिका नु ।
मेनू समज न आवे की नाम देवा, एस गोल चकी दिया चालका नु ॥
रूह दा असल मालिक ओही मानिये जी, जिदा नाम लईए ता सरुर होवे ।
अखा खुलिया नू महबूब दिस्से, अखा बंद होवण ता हुजुर होवे ॥
कोई सौन वेले कोई नहान वेले, कोई गौण वेले तैनू याद करदा ।
एक नजर तू मेहर दी मार साईं, सरताज वी खड़ा फरयाद करदा ॥
टुटेजा संधू वी खड़ा फ़रेयाद करदा ॥
साईं वे साढी फरियाद तेरे ताहि, साईं वे बह्हो फ़ढ़ बेड़ा बन्ने लाई ।
साईं वे मेरेआं  गुनाहा नु लुकाई , साईं वे हाजरा हजूर वे तू आई ॥
साईं वे फेरा मस्कीना वाल पाई , साईं वे बोल काक सारा दे पुगई ।
साईं वे हक विच फैसले सुनाई , साईं वे हौली – हौली खामिया घटाई ।
साईं वे मेनू मेरे अन्द्रो मुकाई, साईं जे डीगिये ता फर के उठाई ।
साईं वे देखि ना भरोसे आजमाई, साईं वे औखे -सौखे रहा चो काढायीं ।
ओ साईं, कला नु वी होर चमकाई, वे सूरा  नु बिठा दे थो – थाई ।
साईं वे ताल विच तुरना सिखाई , साईं वे साज रूस गए ता मनाई ।
साईं वे ऐहना नाल आवाज़ वे रालायी , साईं वे अखरा दा मेल तू  कराइ ।
साईं वे कन्नी किसे गीत दी फडाई, साईं वे शब्दा दा साथ वी निभाई ।
साईं वे नगमे नू फड़ के जगाई , साईं वे शायरी च असर वखायीं ।
साईं वे ज़ज्बे दी वाले नु वडाई , साईं वे गुट-गुट सब नु पेआयीं ।
साईं वे इश्कुए दा नशा वी चाडायीं, साईं वे सैर तू ख्यालां नू कराई ।
साईं वे  तारेआं दे देश ली के जावीं , साईं वे फुफिया दे वांगरा नचाई ।
साईं वे असी सज बैठे चाईं-चाईं , साईं वे थोड़ी बौती अदा वी सिखाई ।
साईं वे मेरे  नाल- नाल  तू वे गायीं ।
साईं वे साईं  लाज सरताज दी बचाई, साईं वे भुलेये नू  ऊँगली फराई ।
साईं वे अग्गे हो के राह रोषनयी ,साईं वे नेहरा विच पल्ले ना छुडायीं ।
साईं वे जिंदगी दे भोज नु चुकाई , साईं वे फिखारा नु हवा च उढाई ।
साईं वे सारे लगे दाग वी धोअई , साईं वे सिले-सिले नैना नु सुखाई ।
साईं वे दिला दे गुलाब महकाई, साईं वे बस पट्टी  प्यार दी पढ़ाईं ।
साईं वे पाक साफ़ रहा नु मलाई , साईं वे बच्चेआ दे वंगु समझाईं ।
साईं वे माड़े कामो घूर के हटाई , साईं वे खोटेया नु खरे च मिलाई ।
साईं वे लोहे नाल पारस कसाई, साईं वे मेहेंता दे मूल वे पवाई ।
ओ साईं वे मारेया दी मंदी न विखाई, साईं वे देखि हून देर न लगाई ।
साईं वे दारां ते खरे हा खैर पाई, साईं वे महरा वाले मीह वि वरसाई ।
साईं वे अकला दे घड़े नु पराई , साईं वे घुम्बद गरूर दे गिराई ।
साईं वे आग वंगु  हौसले  पखाई , साईं वे अम्बरा तोह सोच  मंगवाई ।
साईं वे अपे वाज़ मार के बुलाई , साईं वे हुन सानु  कोल वे बिठाई ।
साईं वे अपने ही रंग च रंगाई , साईं वे मैं हर वेहले करां साईं साईं ।
साईं वे तोते वांगु बोल वी रटाई , साईं वे आत्मा दा दीवा वी जगाई ।
साईं वे अनहद नाद तू वजाई , साईं वे रूहानी कोई तार छेड़ जाईं ।
साईं वे सच्ची(honest) सरताज वी बनाई ।
साईं वे सच्ची टुटेजा वी बनाई ।
साईं साईं साईं ॥

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