सावन का महीना घटाए घनघोर
बागों में झूले पड़ गए, झूले राधा नंद किशोर।
प्रेम हिंडोले बैठी राधा प्यारी, झोटा देवे देखो श्याम मुरारी।
जोड़ी लागे प्यारी जैसे चंदा और चकोर।
बागों में झूले पड़ गए, झूले राधा नंद किशोर।
सावन का महीना घटाए घनघोर।
कोयल पपीहा बोले, मन हर्षाए बंसी बजाए,
श्याम राधा के मन भाए।
छाई है हरियाली हो होऔर पवन मचाए शोर
बागों में झूले पड़ गए झूले राधा नंदकिशोर
सावन का महीना घटाए घनघोर, नंही नंही बुंदिया पड़े,
भीगे राधा रानी रास रचावे श्याम करे मनमानी।
ब्रज में छाई मस्ती हो, हो हो और नाचे मन का मोर बागों में झूले पड़ गए झूले राधा नंद किशोर
सावन का महीना घटाए घनघोर
राधेश्याम की जोड़ी मन को लुभाई । देख के सुंदर छवि मन में समाई।
युगल रूप अनुपम है हो हो हो मनवा हुआ विभोर
बागों में झूले पड़ गए झूले राधा नंद किशोर।सावन का महीना घटाए घनघोर,
बागों में झूले पड़ गए झूले राधा नंद