कौशल्या के सूपुत्र प्रभू श्री रामा,
होता है पूरब में सवेरा
जागो श्री वेंकटेश जागो श्री
श्रीनिवास जागो श्री गोविंद
जागो श्री बालाजी
जागो जय कमलनयन जागो श्री लक्ष्मीकांत
मंगलमय इस क्षण से पावन
कर तीन लोक
ओ शिलारूप शंख चक्र… धारि
श्री वेंकटेश करुणा सागर
भक्तवत्सल दयानिधा ना
अभय हस्त से शोभित श्री विष्णु मूर्ति
श्री वेंकटशायना तुम्हें स॒प्रभातम
तुम्हारे वक्ष में श्री वत्स चिन्ह शोभित है
माता लक्ष्मी का निवास तेरे हृदय में है
सहस्त्र सूर्य के तेज प्रकाश मुख वाले
श्री शे शाचल के राजा तुम्हें सुप्रभात म
तिरुमला के सप्त शिखरों में रहने वाले
धन धान्य सुख समद्धि देने वाले
देखो खडे है कैसे शोभित कस्तूरी चंदन वाले
श्री वेंकटाचल पति तुम्हें सुप्रभातम
भानोदय के सहत्त्र किरानो से चमकते है
तुम्हारे शंख चक्र गहनें
श्री देव देव आदिकेशव जगन्नाथ
कीटि भक्त खड़े है स्वर्ण द्वार
भक्तो को दर्शन देने जागो
जागो श्री बालाजी तुम्हें सप्रभातम
आये है स्वर्ग से इंद्रा दी देवता
सन्मुख खड़े है श्री सरस्वती गणपति
ब्रम्ह देव नारद उमा महेश
देखो जी कैसे खड़े है दर्शन
को तुम्हारे सर्व लोक के मंगल करने
बालाजी जागो
श्री पद्मनाभ पुरुषोंत्तम है
वासुदेव वैकुण्ठ माधव हे जनार्दन
चक्रपाणि हे कमल में शयन करने वाले
श्री बालाजी देखो जी कमल पुष्प सुगंधि
माला लाए हैं तुम्हारे लिये
श्री पुष्प माला चंदन धारण
करने श्रीबालाजी जागो
माथ पे तुम्हारे शोभित ललाट कस्तूरी चंदन
श्री कौस्तुभ धारि चमकते है श्री वज़ कुंडल
स्वर्ण लंकार से शोभित है अंग
तुम्हारे श्री वेंकट बालाजी तुम्हे सुप्रभाम
तिरुमल की पवित्र पुण्य पुष्कर नि के जल से
स्वर्ण कुंभ में गंगा से जल है
लाये आपके दीव्य अर्चावतार का
अभिषेक करने लाये है सुगंधी द्रव्य
भक्तो को हर्षने श्री बालाजी जागो
युग युग मे धारण करने वाले
मत्स्य कूर्म वराह वामन आदि
श्री राम गोविंद यदुनंदन कल्कि रूप
श्री वेंकटेश बालाजी तुम्हे सुप्रभाम
श्री वैकुण्ठ छोड़कर स्वामी तिरुमल शिखरों में
नित्य शयन करते ओ शेषाट्रि शयना
अविनाशी हो नित्य लीला विलासा
वेंकट नायक श्री बालाजी तुम्हे सुप्रभातम
है सुंदर नयन चारु सुशोभित दीव्य हस्ता
आनंद शयन पद्ठानाभ गोकूल नाथा
श्री पांच जन्य पद्मावती लक्ष्मी समेता
सप्तगिरी के शिखरों में विहार
करने वाले तुम्हें सुप्रभातम
सर्व लोक के पालन करने वाले श्री विष्णु देवा
शरणागत पोषक भक्तवस्तल दिन बंधू
हे सृतजन पालन स्मित मंद हासा दिखने अपनी मुस्कान
श्री बालाजी जागो
आनंद कंद मकरंद यह मधुर सुप्रभात
जो मानव प्रतिदिन नित्य श्रवण करेगा
उनको श्री देव पद्मा समेत धन लक्ष्मी कुबेर प्राप्ति
श्री ऐश्वर्य शान्ति सदा मिलेगी
कौशल्या के सूपुत्र प्रभू श्री रामा,
होता है पूरब में सवेरा
जागो श्री वेंकटेश जागो श्री
श्रीनिवास जागो श्री गोविंद
जागो श्री बालाजी
जागो जय कमलनयन जागो श्री लक्ष्मीकांत
मंगलमय इस क्षण से पावन
कर तीन लोक
ओ शिलारूप शंख चक्र… धारि
श्री वेंकटेश करुणा सागर
भक्तवत्सल दयानिधा ना
अभय हस्त से शोभित श्री विष्णु मूर्ति
श्री वेंकटशायना तुम्हें स॒प्रभातम
तुम्हारे वक्ष में श्री वत्स चिन्ह शोभित है
माता लक्ष्मी का निवास तेरे हृदय में है
सहस्त्र सूर्य के तेज प्रकाश मुख वाले
श्री शे शाचल के राजा तुम्हें सुप्रभात म
तिरुमला के सप्त शिखरों में रहने वाले
धन धान्य सुख समद्धि देने वाले
देखो खडे है कैसे शोभित कस्तूरी चंदन वाले
श्री वेंकटाचल पति तुम्हें सुप्रभातम
भानोदय के सहत्त्र किरानो से चमकते है
तुम्हारे शंख चक्र गहनें
श्री देव देव आदिकेशव जगन्नाथ
कीटि भक्त खड़े है स्वर्ण द्वार
भक्तो को दर्शन देने जागो
जागो श्री बालाजी तुम्हें सप्रभातम
आये है स्वर्ग से इंद्रा दी देवता
सन्मुख खड़े है श्री सरस्वती गणपति
ब्रम्ह देव नारद उमा महेश
देखो जी कैसे खड़े है दर्शन
को तुम्हारे सर्व लोक के मंगल करने
बालाजी जागो
श्री पद्मनाभ पुरुषोंत्तम है
वासुदेव वैकुण्ठ माधव हे जनार्दन
चक्रपाणि हे कमल में शयन करने वाले
श्री बालाजी देखो जी कमल पुष्प सुगंधि
माला लाए हैं तुम्हारे लिये
श्री पुष्प माला चंदन धारण
करने श्रीबालाजी जागो
माथ पे तुम्हारे शोभित ललाट कस्तूरी चंदन
श्री कौस्तुभ धारि चमकते है श्री वज़ कुंडल
स्वर्ण लंकार से शोभित है अंग
तुम्हारे श्री वेंकट बालाजी तुम्हे सुप्रभाम
तिरुमल की पवित्र पुण्य पुष्कर नि के जल से
स्वर्ण कुंभ में गंगा से जल है
लाये आपके दीव्य अर्चावतार का
अभिषेक करने लाये है सुगंधी द्रव्य
भक्तो को हर्षने श्री बालाजी जागो
युग युग मे धारण करने वाले
मत्स्य कूर्म वराह वामन आदि
श्री राम गोविंद यदुनंदन कल्कि रूप
श्री वेंकटेश बालाजी तुम्हे सुप्रभाम
श्री वैकुण्ठ छोड़कर स्वामी तिरुमल शिखरों में
नित्य शयन करते ओ शेषाट्रि शयना
अविनाशी हो नित्य लीला विलासा
वेंकट नायक श्री बालाजी तुम्हे सुप्रभातम
है सुंदर नयन चारु सुशोभित दीव्य हस्ता
आनंद शयन पद्ठानाभ गोकूल नाथा
श्री पांच जन्य पद्मावती लक्ष्मी समेता
सप्तगिरी के शिखरों में विहार
करने वाले तुम्हें सुप्रभातम
सर्व लोक के पालन करने वाले श्री विष्णु देवा
शरणागत पोषक भक्तवस्तल दिन बंधू
हे सृतजन पालन स्मित मंद हासा दिखने अपनी मुस्कान
श्री बालाजी जागो
आनंद कंद मकरंद यह मधुर सुप्रभात
जो मानव प्रतिदिन नित्य श्रवण करेगा
उनको श्री देव पद्मा समेत धन लक्ष्मी कुबेर प्राप्ति
श्री ऐश्वर्य शान्ति सदा मिलेगी