श्याम माखन चुराते चुराते,
अब तो दिल भी चुराने लगें हैं ।
राधा रानी को ले कर कन्हैया,
अब तो रास रचाने लगें हैं।
देवकी के गर्भ से जो जाए,
माँ यशोदा के लाल कहाए ।कनह
ग्वाल बालों के संग मे कन्हैया ,
अब तो गौए चराने लगें हैं।
श्याम माखन चुराते चुराते,
अब तो दिल भी चुराने लगें हैं ।
मोह ब्रह्मा का जिस ने घटाया,
मान इन्द्र का जिस ने मिटाया।
स्वम बन कर पुजारी कन्हैया,
अब तो गिरिवर पूजाने लगें है।
श्याम माखन चुराते चुराते,
अब तो दिल भी चुराने लगें हैं ।
श्याम ने ऐसी बंसी बजायी,
तान सखिओं के दिल मे समायी।
राधा रानी को ले कर कन्हैया,
रास मधुवन रचाने लगें है।
दीनबंधु ज़माने के दाता,
संत भक्तो के है जो विधाता।
श्याम माखन चुराते चुराते,
अब तो दिल भी चुराने लगें हैं ।
Shyam used to steal butter, now he has started stealing hearts too.
Kanhiya with Radha Rani, now he has started making rasa.
Whatever happens from the womb of Devaki, is said to be the red of mother Yashoda.
Kanhiya in the company of cowherd hair, now cows have started grazing.
The one who reduced the attachment of Brahma, the one who destroyed the pride of Indra.
By becoming a priest Kanhiya, now he has started worshiping Girivar.
Shyam played such a flute, melded in the hearts of Tan Sakhis.
Kanhiya has started composing Raas Madhuvan with Radha Rani.
Deen brothers are the givers of the times, the saints who are the creators of the devotees.
Taking mercy of Radha Rani, she has started singing her praises.