श्याम से नेहा लगाए,
राधे नीर बहाए ।
जाके गुण बाँसुरिया गाती,
वो हारी लिख लिख कर पाती ।
जा के बिन है श्याम अधुरो,
वो बिरहन कहलाये ॥
पीली पड़ गई केसर काया,
रूप ने अपना रूप गवाया ।
दीपक छेड़ रहें हैं आंसू,
ठंडी आग लगाए ॥
Neha to Shyam,
Radhe neer shed.
Go sings the guna bansuria,
She could write it down.
Shyam is incomplete without going,
He is called Birhan.
Saffron body turned yellow,
The form lost its form.
Deepak is teasing tears,
Make a cold fire