कान्हा तोरी सांवली सुरतिया पे वारी
सखी री मैं तो कारे रंग पे वारी
वारी रे वारी रे मैं तो वारी रे
सखी री मैं तो कारे रंग पे वारी।
ऐसो रंग मोपे डारो कित जाऊं मैं बिचारी
सखी री मैं तो कारे रंग पे वारी,
कारो ही कजरा कारो ही बदरा
कारो ही जमुना नीर,
कारी ही बैरन कारी कोयलिया, मारे रस के तीर॥
सखी री
कारे कुंज में कारो ही भंवरा, कैसो मनोहारी
कारे कान्ह की कारी कमलिया
गई मैं बलिहारी
जय श्री कृष्णा