दुःख सुख दोनों तन के कपडे किस कारन पहनाए
किस कारन पहनाए
तुझे क्यों समझ न आए, तुझे क्यों समझ न आए
वो चाहे तो प्यासा मारे, चाहे तो प्यास बुझाए
तुझे क्यों समझ न आए, तुझे क्यों समझ न आए
तेरे मन की खातिर पगले तन का बिछा बिछौना
जब तक चाबी भरी प्रभु ने तब तक चले खिलौना
ऐसा नाचे मॉस की पुतली, जैसा नाच नचाए
तुझे क्यों समझ न आए, तुझे क्यों समझ न आए
जल बिन मछली जी नहीं सकती, माँ बिन जिए ना बच्चा
इन्दर उसका पानी भरता जिसका सिदक है सच्चा
वो चाहे तो गागर में भी सागर को छलकाए
तुझे क्यों समझ न आए, तुझे क्यों समझ न आए
बेसमझो को समझ नहीं कब आये कैसी घड़िया
जेठ महीने में लग सकती है सावन की झड़िया
कौन समय आकाश और धरती अपना ब्याह रचए
तुझे क्यों समझ न आए, तुझे क्यों समझ न आएस्वरमोहम्मद रफ़ी
Why should we wear clothes of both bodies?
what to wear
why don’t you understand why don’t you understand
If he wants to be thirsty, if he wants to quench his thirst
why don’t you understand why don’t you understand
For the sake of your mind
The toy lasted until the Lord filled the key
Dancing like a doll of moss, dancing like
why don’t you understand why don’t you understand
Fish cannot live without water, mother cannot live without child
Inder would fill his water whose Sidak is true
If he wants, he can spill the ocean in Gagar too.
why don’t you understand why don’t you understand
The foolish don’t understand when they know what kind of clock
In the month of Jeth, there may be Sawan Jharia
At what time the heavens and the earth will marry
Why don’t you understand, why don’t you understandSwarMohammed Rafi